उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक(governor ram naik) शनिवार 9 सितम्बर को राजधानी लखनऊ स्थित ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विवि के द्वितीय दीक्षांत समारोह में की शिरकत की थी। इस दौरान राज्यपाल राम नाईक ने दीक्षांत कार्यक्रम का संबोधन भी किया। साथ ही राज्यपाल राम नाईक ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को पदक एवं उपाधि प्रदान कर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो० फुरकान कमर, विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति श्री एस०के० शुक्ला, शिक्षकगण सहित अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, छात्र-छात्रायें एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
क्या बोले राज्यपाल राम नाईक(governor ram naik):
एक तरफ किताबी पढ़ाई, दूसरी तरफ जीवन की पढ़ाई(governor ram naik):
- दीक्षान्त समारोह छात्र जीवन का ऐसा क्षण है, जहाँ एक तरफ किताबी पढ़ाई पूरी होती है तो,
- दूसरी ओर जीवन की नई पढ़ाई यानि भविष्य में क्या करना चाहते हैं।
- इसके लिए परिश्रम प्रारम्भ करना होता है।
- छात्रों का धर्म केवल शिक्षा ग्रहण करना होता है।
- अच्छी शिक्षा ग्रहण करके ही आप अपने देश को आगे ले जा सकते हैं।
- शिक्षकों द्वारा दिए गए ज्ञान का सही उपयोग करें।
निकट भविष्य में छात्र और बढ़ेंगे(governor ram naik):
- विश्वविद्यालय धीरे-धीरे प्रगति कर रहा है।
- लोगों को भ्रम है कि, इस विश्वविद्यालय में केवल उर्दू, अरबी-फारसी का ज्ञान दिया जाता है।
- जबकि यहाँ सभी प्रकार के विषय पढ़ाए जाते हैं।
- निकट भविष्य में छात्रों की संख्या बढ़ेगी।
- इस वर्ष 204 लोगों को उपाधि दी गई है जिसमें 142 छात्र और 62 छात्राएं है।
- उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु 25 स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में 17 छात्र हैं और 8 छात्राएं हैं।
- अन्य विश्वविद्यालयों में छात्राएं 65 प्रतिशत तक पदक प्राप्त कर रही हैं।
- उन्होंने कहा कि यहाँ की छात्राओं को विशेष प्रयास करने होंगे।
सदैव मुस्कुराते रहें(governor ram naik):
- राज्यपाल ने छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उन्हें व्यक्तित्व विकास एवं जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए चार मंत्र बताये।
- सदैव मुस्कुराते रहें,
- दूसरों की सराहना करना सीखें,
- दूसरों की अवमानना न करें क्योंकि यह गति अवरोधक का कार्य करती हैं,
- अहंकार से दूर रहें तथा हर काम को अधिक अच्छा करने पर विचार करें।
- उन्होंने सफलता के लिए छात्र-छात्राओं को निरन्तर चलते रहने की प्रेरणा देकर ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ श्लोक का अर्थ भी बताया।