वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी की पहली वर्षगांठ पर सरकार आज ‘जीएसटी’ दिवस के रूप में मना रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल 1 जुलाई को इसकी शुरुआत की थी। जीएसटी भारतीय कर सुधार की दिशा में यह सबसे बड़ा कदम था।
‘एक देश एक कर’ व्यवस्था पर आधारित जीएसटी से जहाँ पूरे देश में वस्तुओं के दामों में समानता आई वहीं उत्पाद के मूल्य में भी कमी आई. जीएसटी पर सरकार हमेशा से दावा करती रही है कि एक समान टैक्स व्यवस्था का सीधा फायदा आम आदमी को मिलता है और आमजन से जुड़ी वस्तुएं सस्ती हुईं हैं.
70 साल पुरानी टैक्स व्यवस्था खत्म:
एक जुलाई 2017 को मोदी सरकार ने 70 साल पुरानी टैक्स व्यवस्था को खत्म कर दिया था। इसकी जगह जीएसटी लागू किया था। इसके तहत 5%, 12%, 18% और 28% के टैक्स स्लैब का प्रारूप बनाया गया।
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जीएसटी से कोई बड़ा नुकसान नहीं:
जीएसटी लागू होने के बाद एक अप्रैल 2018 में जीएसटी का कलेक्शन 1,03,000 हुआ। जीएसटी लागू होने के बाद यह सवाल भी उठने लगे थे कि इससे टैक्स कलेक्शन में कमी आएगी।
इससे सरकार को रेवेन्यू का नुकसान हुआ, लेकिन पिछले 11 महीने के आंकड़े के मुताबिक, 17 अप्रत्यक्ष करों के बदले जीएसटी लागू करने से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
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कितनी घटी महंगाई :
जीएसटी लागू होने के शुरुआती महीने में महंगाई में बढ़ोतरी हुई। एक महीने बाद अगस्त 2017 में ये दर 3.36% पहुंच गई जो 5 महीने में सबसे ज्यादा थी।
वहीं जीएसटी के 11 महीने बाद मई 2018 में महंगाई दर 4.87 प्रतिशत रही। जीएसटी पर सरकार का तर्क था कि यह लागू होने से आम आदमी को वस्तुएं सस्ती मिलेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
जीएसटी में जिन वस्तुओं के दाम बढ़ना थे, उनके तो बढ़ गए, लेकिन जिन पर टैक्स की दर कम थी, उन वस्तुओं के दामों में कोई कटौती नहीं हुआ।
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जीएसटी में परेशानी :
जीएसटी लागू होने के बाद लोगों को व्यावहारिक और तकनीकी दिक्कतों को लेकर परेशानियों झेलनी पड़ीं। व्यापारियों को इसके रजिस्ट्रेशन को लेकर काफी दिक्कतें आईं।
बार-बार सर्वर बैठने से ये परेशानियां सामने आईं। प्रोविजन आईडी जारी होने में 10 से 15 दिन का समय लगा। इन परेशानियों को देखते हुए सरकार को जीएसटीआर-1 की तारीख बार-बार आगे बढ़ानी पड़ी।
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टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी :
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी प्रणाली के लागू होने के एक वर्ष पूरा होने की पूर्व संध्या पर फेसबुक पर एक पोस्ट में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह में 44 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोतरी होने का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि समाप्त वित्त वर्ष में जीएसटी का प्रत्यक्ष कर संग्रह पर असर नजर नहीं आया था।
उन्होंने बताया कि जीएसटी वित्त वर्ष की शुरुआत से लागू नहीं हुआ था, इसलिए इसका पूरा असर नहीं दिखाई दिया. लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में जीएसटी का कर संग्रह में असर साफ नजर आएगा। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में व्यक्तिगत आयकर में 44 प्रतिशत और कंपनी कर श्रेणी में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने लिखा है 2017-18 में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 6.86 करोड़ पहुंच जाने की उम्मीद है। वर्ष के दौरान आयकर रिटर्न भरने वालों में 1.06 करोड़ नए थे। कुल आयकर 10.02 लाख करोड़ एकत्रित किया गया। चार वर्षों में आयकर प्राप्ति में 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।