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GST Day: मिली जुली प्रतिक्रियाओं के साथ गुजरा जीएसटी का एक साल

GST Day: one year GST completion with mixed results

GST Day: one year GST completion with mixed results

‘वस्तु और सेवा कर’ यानी जीएसटी को लागू हुए एक साल हो गया हैं और आज भाजपा सरकारें जीएसटी दिवस मना कर इसे एक उपलब्धी के तौर पर बढ़ावा दे रही हैं. हालाँकि लोगों में जीएसटी को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया हैं. देखा जाये तो एक साल में वस्तुओं के दाम में गिरावट आई हैं तो सेवाएं महंगी हुईं हैं. जानियें कि इस एक सालों में जीएसटी के क्या फायदे और क्या नुकसान देखने को मिले. 

फायदे और परेशानियों से भरा जीएसटी: 

जीएसटी को लागू हुए आज एक साल पूरा हो गया। ठीक एक साल पहले 30 जून की मध्य रात्रि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे भारत में जीएसटी की शुरुआत का ऐलान किया था.

जिसके बाद जहाँ शुरू में विपक्षियों ने इसका भरपूर विरोध किया. वहीं आधी अधूरी तैयारियों के साथ शुरू हुई जीएसटी व्यवस्था व्यापारियों और आम लोगों के जीवन में घुलती चली गयी.

इस नई कर व्यवस्था को लेकर सरकार ने दावा किया स्की जीएसटी से महंगाई नियंत्रित हुई है. इतना ही नहीं सरकार जीएसटी में पारदर्शिता और मुनाफाखोरी के खिलाफ एक एजेंसी भी लाई. जिसकी वजह से भी वस्तुओं के दामों में कमी आई. हालांकि विशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ वस्तुओं कि कीमतें बढ़ी हैं.

जहाँ जीएसटी से खाद्य पदार्थों, रोज मर्रा की वस्तुओं आदि के दाम या तो स्थिर रहे या घटे, साथ ही अक्टूूबर 2017 से फैक्ट्री में बनी चीजों की महंगाई दर एक वर्ष पहले की तुलना में कम रही है।

वहीं सर्विसेज महंगी हुई हैं। बता दें कि भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा कर की भागीदारी 60 फीसदी है. यानी अर्थव्यवस्था में 60% मंहगाई बढ़ी.

इन मिले जुले नफे-नुकसान के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उनका मानना है कि जीएसटी के सही अनुपालन से कुछ ही सालों में जीडीपी में बढ़ोतरी होगी.

बहरहाल इन एक सालों में जीएसटी व्यवस्था से देश को क्या फायदा और क्या नुकसान हुआ, ये समझने वाली बात हैं.

जीएसटी के फायदे:

-राज्यों के बीच बंद हुईं स्मगलिंग:

पहले जिन राज्यों में टैक्स कम थे, व्यापारी वहां का इनवॉयस दिखाकर दूसरे राज्य में माल बेचते थे। जीएसटी से राज्यों के बीच स्मगलिंग बंद हो गई।

-2 नम्बर के माल के स्थानांतरण में कमी:

जीएसटी में बिल व्यवस्था और उपभोक्ता से लेकर विक्रेता और विक्रेता से लेकर उत्पाद बाजार तक पहुँचाने वालों और उनसे उत्पादक तक सभी के बीच पारदर्शिता आ गयी.  ई वे बिल से ट्रांसपोर्ट में दो नंबर का माल जाना 75% कम हो गया है।

-फर्जी चालानों में क्रेडिट बंद:

विक्रेता का चालान और इनपुट टैक्स क्रेडिट आपस में जुड़े होने से फर्जी चालानों पर क्रेडिट का दावा करना असंभव हो गया है।

-10 लाख के टर्नओवर पर कर मुक्त:

मध्यम वर्गीय व्यापारियों के लिए 10 लाख तक टर्नओवर पर कर की मुक्ति का प्रावधान किया गया. जीएसटी लागू होने से पहले वे भी कर के दायरे में आते थे. लेकिन अब दस लाख के टर्नओवर वाले व्यापारियों को कर मुक्त किया गया है। इससे व्यापार शुरू करना आसान हुआ।

-फर्जी वसूली बंद:

टैक्स में पारदर्शिता से बिचौलियों और इंस्पेक्टरों की वसूली पर रोक लग गयी. पहले टैक्स के नाम पर इंस्पेक्टर वसूली करते थे, ये बंद हो गया.

जीएसटी से परेशानी:

एक साल में जीएसटी प्रणाली से जुड़ी 100 अधिसूचना जारी की गईं। यानी हर तीसरे दिन नई अधिसूचना।

जीएसटी एक्ट और जीएसटी-नेटवर्क में तालमेल का अभाव है। एक क्रेडिट लेजर और एक कैश लेजर का प्रावधान था। पर 6 तरह के कैश लेजर बनाए।

-ई वे बिल में मानवीय भूल का प्रावधान नहीं है। गाड़ी नंबर डालने में गलती हो गई तो भी इनवॉयस के बराबर पेनल्टी लगती है।

-इनपुट टैक्स क्रेडिट अभी इलेक्ट्रॉनिक नहीं हुआ। टैक्स अधिकारी के पास जाना पड़ता है। कम जानकारी होने की वजह से अधिकारी आपत्ति दर्ज करते हैं।

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