बसंत पंचमी 2018 ( Basant Panchami 2018) का पर्व पूरे भारतवर्ष में सोमवार यानी 22 जनवरी 2018 को मनाया जायेगा। बसंत पंचमी की धूम शहर से लेकर गांवों में भी देखने को मिल रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल माघ महीने में शुक्ल की पंचमी को मां सरस्वती की उपासना होती है। मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी कहा जाता है। ये पर्व हिंदुओं के खास त्यौहारों में से एक है।
ऐसी मान्यता है कि “अबूझ मुहूर्त” (बसंत पंचमी) पर जिन लोगों की कुंडली में विद्या और बुद्धि का योग नहीं होता है वह लोग वसंत पंचमी को मां सरस्वती को पूजा करके उस योग को ठीक कर सकते हैं। बसंत पंचमी व्हाट्सएप्प, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित कई सोशल साइटों पर मनाया जा रहा है। लोग एक दूसरे को बधाई संदेश भेजने में जुटे हुए हैं। बसंत पंचमी को कुछ जगहों पर वसंत पंचमी (vasant panchami) भी लिखा जाता है।
पीली सरसों के खेतों में मच रही Basant Panchami 2018 की धूम
बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में uttarpradesh.org के चीफ फोटो जनर्लिस्ट ‘आशीष पांडेय’ ने शहर के ग्रामीण इलाकों में जाकर बसंत पंचमी के त्यौहार का जायजा लिया तो सरसों के पीले खेतों में लोग उमड़ रहे थे। बसंत पंचमी पर सरसों के खेतों में युवतियां सेल्फी लेने को आतुर दिख रही थीं। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा विधि विधान से की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान-विज्ञान, कला, संगीत और शिल्प की देवी हैं। अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए और जीवन में नया उत्साह प्राप्त करने के लिए बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की उपासना पूरे देश में की जाती है। इस दिन पढ़ाई में कमजोर बच्चे मां की आराधना कर और कुछ उपाय कर उनकी कृपा पा सकते है।
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ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें। उनका ध्यान कर ऊं ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। मां सरस्वती की आरती करें दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाएं। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करते वक्त पीले या फिर सफेद कपड़े पहनने चाहिए। काले और लाल कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा ना करें। मां सरस्वती को श्वेत चंदन और पीले फूल बेहद पंसद है इसलिए उनकी पूजा के वक्त इन्हीं का इस्तेमाल करें।
प्रकृति का उत्सव है बसंत
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान विष्णु की आज्ञा से प्रजापति ब्रह्माजी सृष्टि की रचना करके जब उस संसार में देखते हैं तो उन्हें चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई देता था। उदासी से सारा वातावरण मूक सा हो गया था। जैसे किसी की वाणी ना हो। यह देखकर ब्रह्माजी ने उदासी तथा मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल लेकर छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही पेड़ों से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थी और दो हाथों में पुस्तक और माला धारण की हुई जीवों को वाणी दान की। इसलिये उस देवी को सरस्वती कहा गया। यह देवी विद्या, बुद्धि को देने वाली है। इसलिये बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है। दूसरे शब्दों में बसंत पंचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है।
हिंदू मान्यता के अनुसार वसंत का उत्सव प्रकृति का उत्सव है। यौवन हमारे जीवन का बसंत है तो वसंत इस सृष्टि का यौवन है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में “ऋतूनां कुसुमाकरः” कहकर ऋतुराज बसंत को अपनी विभूति माना है। शास्त्रों एवं पुराणों कथाओं के अनुसार बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा को लेकर एक बहुत ही रोचक कथा है। इस समय पूरा देश ( Basant Panchami 2018) बसंत पंचमी के उत्सव को मानाने में जुटा हुआ है।