मुस्लिम समुदाय का पवित्र महीना माह-ए-रमजान की तैयारी और स्वागत में मुस्लिम समुदाय के लोग जुट गए हैं। मुस्लिम धर्म गुरूओं के अनुसार बुधवार को चांद दिखाई देता है तो गुरुवार को पहला रोजा हो सकता है। गुरुवार को चांद नजर आया तो रमजान का पहला रोजा 18 मई से शुरू होगा। रमजान की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजार में खरीदारी को चहल पहल देखी जा रही है। रोजा इफ्तार और सहरी के लिए खरीदारी कर रहे हैं। इस महीने दान पुण्य के कार्यों करने को प्रधानता दी जाती है। इसलिए इस महीने को नेकियों और इबादतों का महीना कहा जाता है।
सेहरी और इफ्तार सामग्री की खरीदारी कर रहे लोग
घरों की साफ-सफाई के साथ सेहरी और इफ्तार सामग्री की लोग व्यवस्था कर रहे हैं। इसके लिए सभी जगहों पर मस्जिदों की साफ-सफाई की जा रही है। आस्था, सब्र बरकत, फजीलत और अजमत का पवित्र माह तमाम महीनों का सरदार माह-ए-रमजान के स्वागत में समुदाय के लोग तन-मन से लग गए हैं। सारा माहौल भक्ति रस में गोते खा रहा है। बे नमाजी भी नमाज शुरू कर रहे हैं। मस्जिदों में नवाफिल और तिलावते कलाम पाक के द्वारा रमजान का स्वागत किया जा रहा है। लोग रमजान के लिए कुर्ता, पजामा, टोपी अतर, सुरमा एवं लूंगी आदि की व्यवस्था कर रहे हैं।
करीब 15 घंटा 11 मिनट का होगा पहला रोजा
पहले रोजे में सुबह 3:33 बजे सहरी और शाम 6:44 बजे इफ्तार किया जायेगा। पिछली बार की तरह इस बार भी पहला रोजा करीब 15 घंटा 11 मिनट व अंतिम रोजा 15 घंटा 35 मिनट का होगा। आखिरी रोजे में सुबह 3:22 बजे सहरी और शाम 6:57 बजे इफ्तार होगा। इस महीने में भगवान की दी हर नेमत के लिए अल्लाह का शुक्र अदा किया जाता है। महीने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल फितर मनाया जाता है।
पूरे 30 दिन का होता है रमजान का पवित्र महीना
आपको बता दें कि रमज़ान के महीने को तीन भागों में बांटा जाता है। 10 दिन के पहले भाग को ‘रहमतों का दौर’ बताया गया है। 10 दिन के दूसरे भाग को ‘माफी का दौर’ कहा जाता है और 10 दिन के आखिरी हिस्से को ‘जहन्नुम से बचाने का दौर’ पुकारा जाता है। रमज़ान का महीना पूरे 30 दिन का होता है, और हर रोज़ रोज़ा रखा जाता है। मान्यता है कि इस्लामी कैलेंडर के इस महीने के दौरान हर रोज़ कुरान पढ़ने से ज़्यादा सबाब मिलता है।