अंग्रेजी महीने में नया साल शुरू होने के बाद युवाओं को फरवरी महीने का इंतजार रहता है। फरवरी में करीब एक सप्ताह प्यार का दौर चलता है और 14 फरवरी यानी वैलेंटाइन-डे को इसका समापन होता है। वैलेंटाइन डे को लोग प्यार के दिन के रूप में पूरी दुनिया में बहुत ही धूम-धाम से मनाते हैं। लेकिन क्या आप को पता है कि इस दिन युवाओं के अलावा किशोर भी अपनी हदों को पार कर देते हैं।
एक आंकड़े के मुताबिक, दुनिया के 28 विकसित देशों में हर साल करीब 15 लाख किशोरियां गर्भवती हो जातीं हैं। इतना ही नहीं करीब 6 लाख लड़कियां गर्भपात करातीं हैं। जबकि साढ़े 8 लाख मां बनकर सरकार एवं माता-पिता पर बोझ बन जातीं हैं। ये हम नहीं बल्कि महिला उत्थान मंडल लखनऊ का कहना है।
इसीलिए समिति ने इस दिन को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने की अपील की है। समिति पिछले वर्षों से इस दिन भव्य पूजन कराती आई है हो इस बार भी होगा। प्यार के इस दिन समिति के सदस्यों के अलावा स्थानीय नागरिक और बच्चे भाग लेकर इस दिन को प्यार के दिन के रूप में न मनाकर अपने माता-पिता की भाव पूर्वक पूजा करते हैं।
माता-पिता को बृद्धाश्रम में न छोड़ें बच्चे
संगठन की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. विमला मिश्रा के साथ सर्वश्रीमती अर्चना ध्यानी,मधुलिका श्रीवास्तव,कुसुम,रश्मि खरे,अंजु त्रिवेदी,इंदु गुप्ता,सुमन यादव,माधुरी गुप्ता ने कहा प्रथम पूज्य भगवान गणेश तथा परम मातृ-पितृ भक्त श्रवणकुमार के आदर्शों पर चलकर बच्चे अपने माता -पिता का आदर करें तथा उन्हें वृद्धाश्रमों में रोते हुए मरने को न छोड़ें।
युवाओं ने भी स्वागत किया इस अनोखी पहल का उच्च शिक्षा प्राप्त इंटीरियर डिज़ाइनर सुश्री नेहा गुप्ता ने कहा आज का युवा ही नहीं किशोर भी इस वैलेंटाइन डे के कुचक्र में फँस कर तबाह हो रहे हैं। ऐसे में जो पूज्य बापूजी ने हमें रोशनी की किरण दिखाई है तो हम सबने अपने माता-पिताके त्याग को ,उनके निश्छल प्रेम की कीमत को पहचाना है।
कई वर्षों से हम सब तो 14 फ़रवरी को मातृ-पितृ पूजन करते ही हैं ,दूसरों के लिए भी ऐसे सुंदर आयोजन करवाते हैं। ओजस्वी युवा कृष्णा गौतम,पवन अवस्थी व नीतीश गौड़ ने कहा हम सब ने प्रतिज्ञा की है कि हम14 फरवरी को वैलेंटाइन डे नहीं बल्कि मातृ-पितृ पूजन दिवस ही मनायेंगे। हम अपने माता-पिता व गुरुजनों को जीवन में कभी नहीं छोड़ेंगे। सदा उनका सम्मान करेंगे व उन्हें खूब खुश रखेंगे। सर्वश्री सैनी, सुरेन्द्र, अनिल, मनोहर, अजय श्रीवास्तव आदि ने भी भाव विभोर होते हुए।
11 सालों में बन गया जन आंदोलन
डॉ.विमला मिश्रा ने बताया पिछले 11 सालों से संत श्रीआशारामजी बापूजी के इस लोकमंगलकारी संकल्प के फलस्वरूप 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन एक विश्वव्यापी अभियान का रूप ले चुका है। भारतवर्ष में तो ये जन आंदोलन बन ही चुका है। हर साल की तरह इस वर्ष भी समस्त विश्व में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में करोड़ों लोगों द्वारा मनाया जा रहा है। हज़ारों स्कूलों-कॉलेजों ही नहीं विश्वविद्यालयों में भी आज इसकी माँग कितनी ज़्यादा हो रही है इसका अंदाज़ा आप इसी से लगा सकते हैं कि गत 4 वर्षों से हमें ये आयोजन 1 फरवरी से 28 फरवरी यानी पूरे एक महीने तक करना पड़ रहा है।
इसी कड़ी में महिला उत्थान मंडल लखनऊ की सेवाभावी सदस्याओं द्वारा श्रीयोगवेदान्त सेवा समिति, युवा सेवा संघ व बालसंस्कार केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में लखनऊ के कानपुर रोड स्थित मेट्रोडिपो के पास संत श्रीआशारामजी आश्रम में कल 14 फरवरी को भव्य भावपूर्ण मातृ-पितृ पूजन का आयोजन किया जा रहा है।
जिसमें गणमान्य नागरिकों के साथ ही जनसामान्य की भारी भीड़ भी बड़ी उत्सुकता से इस अद्भुत कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे। लोग इस प्रयास को मुक्त कंठ से सराह रहे हैं साथ ही बापूजी जैसे करुणामय संत के प्रति हो रहेअन्याय के प्रति रोष प्रकट कर रहे हैं।
विशाल संकीर्तन यात्रा तथा मुहल्ले-मुहल्ले प्रभातफेरियाँ निकालकर किया जागरूक
बच्चों व युवाओं में माता-पिता-गुरुजन व सभी बड़ों का सम्मान करने के संस्कार विकसित करने के उद्देश्य से महिला उत्थान मंडल द्वारा विगत अनेक वर्षों से 14 फ़रवरी को विश्व भर में मातृ-पितृ पूजन महोत्सवों का आयोजन किया जाता रहा है। इस महान पर्व के विषय में समाज को जागरूक करने के लिए देशभर की तरह पिछली 4 फरवरी को गोमतीनगर में भी प्रभातफेरी निकाली गई थी।
जिसमें ’14 फ़रवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस मनायें’, ‘माँ-बाप को भूलना नहीं’ आदि पुस्तकें, स्टिकर व पैम्फलेट वितरित किये गए थे। इसी कड़ी में 9 फ़रवरी को अपराह्न 3 बजे से गोमतीनगर स्थित सैलानी माता मंदिर परिसर में इस कार्यक्रम का वृहद स्तर पर भव्य आयोजन किया गया था। इस अवसर पर अमदावाद से पधारीं, संतआशाराम बापूजी की कृपापात्र शिष्या साध्वी पूजा दीदीजी ने सारगर्भित सत्संग प्रदान किया था व अत्यन्त भावपूर्ण सामूहिक मातृ-पितृ पूजन करवाया था।
इस क्रांतिकारी सकारात्मक परिवर्तन लाने वाले मातृ-पितृ पूजन दिवस की महिमा से युक्त हज़ारों पुस्तिकाएँ व पत्रक बाँटे गए। लोग ये पर्चे बड़े आदर से ले रहे थे और ज़्यादा लोगों तक ये शुभ सन्देश पहुँचाने के लिए और भी पर्चे माँग कर ले जा रहे थे। इसके अलावा सभी को बड़े उत्साह से बाँट भी रहे थे।
विरोध आख़िर क्यों
वयस्क समझदार हैं वो जो चाहे करें परंतु वैलेंटाइन डे के बहाने मीडिया में,पार्कों,सड़कों व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर खुलेआम अश्लीलता से जो बच्चों और किशोरों के कोमल मन-मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है वो गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। इसलिए करुणा करके पूज्य बापूजी ने एक ऐसा सुंदर विकल्प दिया है जिसे सभी धर्म-जाति-वर्ग वाले सहर्ष अपना रहे हैं। देशवासी ही नहीं विदेशी भी संतश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं।