यूपी के हरदोई जिला के माधौगंज थाने की पुलिस का अमानवीय चेहरा बुधवार को देखने को मिला। जब एक पीड़ित को पहले तो आरोपी बनाया गया। फिर जब मामला तूल पकड़ने लगा तो जिला अस्पताल से उठाकर उसे जेल भेजने की कोशिश की गई। लेकिन मरीज की हालत नाजुक देखकर जिला कारगार के डॉक्टर ने उसे इलाज के लिए लौटा दिया। बताया जा रहा है कि पिटाई के कारण युवक का आधा शारीर शून्य हो गया। पीड़ित के आधे शरीर ने काम करना बंद कर दिया।
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जब जेल के डॉक्टर ने मरीज को किसी न्यूरो से दिखने कि बात पर्चे में लिखी तो पुलिस कि सारी चाल फेल हो गयी। क्योकि हरदोई में न्यूरो सर्जन का आभाव है इसके चलते मजबूरन मरीज को लखनऊ रेफर करना पड़ा। अब पुलिस पीड़ित के साथ लखनऊ चली तो आई लेकिन अगर पीड़ित कि मौत हो गई तो उन्नाव कांड कि तरह हरदोई पुलिस कि भी फजीहत तय मानी जा रही है। हालांकि ग्रामीणों ने पुलिस पर झूठे मुक़दमे में फंसाने का आरोप लगाया है। इस मामले में एसपी विपिन कुमार का कहना है कि मामला संज्ञान में नहीं है, जाँच के बाद कार्रवाई कि जाएगी। अब देखने वाली बात होगी कि क्या पीड़ित को पुलिस न्याय दे पाती है या फिर खुद को बेगुनाह बता था पीड़ित ही जेल जायेगा, ये देखने वाली बात होगी।
पुलिस पर झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप
जानकारी के मुताबिक, मामला माधौगंज थाना के असमा मजरा पहुतेरा का है। यहां के ग्रामीण खुशीराम ने पुलिस पर झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप लगाया है। पीड़ित के मुताबिक उसे ही दबंगों ने पीटा। जब उसने शिकायत की तो पुलिस ने उसे ऊपर ही दबंगोें की ओर से टेड़खानी का मामला दर्ज कर आरोपी बना दिया। जब बुधवार को मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में पहुंचा तो इस पर पुलिस कर्मी उसे जिला अस्पताल से जिला कारगार ड्टोजने के लिए एक आटो रिक्शा पर लादकर ले गए। जब उसके पैर जमीन नहीं लगे तो पुलिस कर्मी उसे दोनों ओर से कंधों पर लादकर जिला कारगार के अंदर दाखिल हुए। लेकिन वहां पर जब डॉक्टर ने आरोपी खुशीराम की नाजुक हालत देखी तो जिला अस्पताल में इलाज के लिए ड्टोज दिया। जेल के अंदर रखने से इंकार कर दिया। इस पर पुलिस कर्मियों दोबारा उसे मजबूरी में लाकर जिला अस्पताल में ड्टार्ती कराया।
डॉक्टरों के इलाज पर ड्टाी उठी उंगली
खुशीराम को पहले जिला अस्पताल के वार्ड नम्बर चार में ड्टार्ती किया गया। जहां पर सर्जन डॉक्टर ने उसे देखने के बाद हड्डी विड्टााग के डॉक्टर के लिए रेफर किया। जब हड्डी विड्टााग के डॉक्टर ने उसे देखा तो उन्होंने लखनऊ रेफर करने के बजाए न्यूरोफिजीशियन के लिए लिखा है। पीड़ितों के अनुसार हर कोई अब उससे पल्ला झाड़ रहा है।