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शिव-पार्वती मेहंदी प्रतियोगिता संग मनाई गई हरतालिका तीज

Hartalika Teej Celebrated with Shiva Parvati Mehndi Contest

Hartalika Teej Celebrated with Shiva Parvati Mehndi Contest

हरतालिका तीज व्रत बुधवार को देश के कई हिस्सों खासकर उत्तर भारत मे धूम-धाम से मनाया गया, हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख व्रत है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस अवसर पर नगर के डालीगंज क्षेत्र में स्थित प्राचीन शिव मंदिर मनकामेश्वर-मठ मंदिर में इस पर्व की अद्भुत छठा देखने को मिली, मंदिर प्रशासन की ओर शिव-पार्वती थीम पर आधारित एक मेहंदी प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमे कई महिलाओं एवं कन्याओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उपमा पांडेय, सुजाता, रीता, सुनीता दीक्षित,रश्मि रस्तोगी, मीना रस्तोगी, मीना रस्तोगी, गीता रस्तोगी आदि कन्याओं व महिलाओं ने अपनी कला एवं रचनात्मकता के अद्भुत उदहारण प्रस्तुत किए।

मेहंदी प्रतियोगिता के लिए घर मे बनी पारम्परिक मेहंदी का प्रयोग हुआ, इस कार्यक्रम के लिए मंदिर परिसर को पीले पुष्पों से सजाया गया, प्रातःकाल में ब्रह्ममहारती व संध्याकाल गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या के उपलक्ष्य में अलैकिक लम्बोदार श्रृंगार के साथ महादेव महाआरती का आयोजन हुआ। सुबह से ही मंदिर मे महादेव के दर्शन करने हेतु श्रद्धालुओ का तता लगा रहा। इस अवसर पर मंदिर के महंत देव्यागिरि ने कहा कि भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। विधवा महिलाएं भी इस व्रत को कर सकती हैं।

हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की। माता पार्वती की यह स्थिति देखकप उनके पिता हिमालय बेहद दुखी हुए।

एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर आए लेकिन जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो, वे विलाप करने लगी। एक सखी के पूछने पर उन्होंने बताया कि, वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप कर रही हैं। इसके बाद अपनी सखी की सलाह पर माता पार्वती वन में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

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