स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर शासन प्रशासन के प्रयास तब फेल साबित होते हैं जब किसी गरीब को जरूरत के समय उसकी सुविधा नहीं मिलती. वैसे ज्यादातर मामलों में सरकार के पुरजोर प्रयासों के बाद भी अस्पतालों में मरीजों को उसी स्थिति का सामना करना पड़ता है जो पिछली और उससे पिछली सरकार में झेलने को मिली.
प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सरकार द्वारा करोड़ो खर्च करने के बाद भी परिजन जब मरीज को लेकर अस्पताल पहुँचते हैं तो नजारा ये होता है कि कभी उन्हें स्ट्रेचर और व्हील चेयर नहीं मिलती. तो कभी सरकारी अस्पतालों में दवाइयां और जांचें नहीं हो पाती.
जिला अस्पताल के स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल:
ऐसा ही एक मामला हाथरस जिले का हैं जहाँ एक बेटा अपने पिता को कंधे पर उठा कर जिला अस्पताल में घूमता रहा लेकिन अस्पताल में तैनात कर्मचारी और डॉक्टरों ने उसकी मदद करना मुनासिब न समझा. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन की इस कार्यशैली के सामने हार मान कर लाचार बेटा अपने पिता को कंधे पर बैठाकर प्राइवेट हॉस्पिटल ले गया. और वहीं पिता का एक्सरे करवाया.
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जिला अस्पताल में मरीजो को नही मिलती सुविधा:
प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिला अस्पतालों में आने वाले गरीब मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं पंहुचाने की चाहे लाख कोशिशें क्यों न करले लेकिन जिला स्तर पर बैठे हुए अधिकारी और कर्मचारी प्रदेश सरकार की महत्वकांशी योजनाओ को पलीता लगाने का काम कर रहे है।
बता दें कि थाना कोतवाली हाथरस जक्शन क्षेत्र के गांव शेरपुर में मेघसिंह को घर में कार्य करते हुए घोड़े ने लात मार दी. जिससे मेघसिंह के पैर में गंभीर चोट लग गयी। जिसके बाद मेघसिंह को उसका बेटा उपचार के लिए हाथरस जिला अस्पताल लेकर पंहुचे।
जिला अस्पताल में नहीं हुआ एक्सरे:
हॉस्पिटल में तैनात में डॉक्टरों ने घायल मेघसिंह के पैर का एक्सरा लिखा जब मेघसिंह का बेटा अपने घायल पिता को अपने कंधे पर बिठाकर एक्स-रे कक्ष पंहुचा तो डॉक्टरों ने एक्स-रे पिलेट ख़त्म हो जाने की बात कहते हुए मेघसिंह का एक्सरा नहीं किया।
जिसके बाद मेघसिंह का बेटा घंटो घायल मेघसिंह को अपने कंधे पर लेकर घूमता रहा लेकिन किसी ने भी घायल मेघसिंह मदद नहीं की। जिसके बाद थक हार कर मेघसिंह को निजी अस्पताल में ले जाकर उसका एक्सरे करवाया गया.
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