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विश्व के इतिहास में पहली बार लखनऊ में श्मशान घाट पर हुआ नाटक का मंचन

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विश्व के इतिहास में पहली बार श्मशान घाट पर नाटक का मंचन हुआ। विश्व में दर्शकों ने रंगमंच, आलीशान प्रेक्षागृहों, सड़कों, चौराहों पर नाटक का मंचन देखा होगा, लेकिन यह पहला अवसर था जब नाटक को दर्शकों ने चारों तरफ जल रही चिताओं के सामने श्मशान घाट में देखा। अंतिम यात्रा में शामिल होने आए लोग दर्शक बने। रविवार को लखनऊ का भैंसाकुंड बैकुंठ धाम इस बात का गवाह बना। इस दौरान महिला नाट्यकर्मियों ने इस अन्धविश्वास की भी प्रथा को तोड़ दिया जो महिलाओं को श्मशान घाट पर ना जाने के लिए प्रेरित करता था।

अन्धविश्वास है महिलाओं को श्मशान घाट ना जाने की बात

भैंसाकुंड बैकुंठ धाम में रक्तदान को प्रेरित करने वाले नाटक ‘रक्तदान अपनाएं बेहतर स्वास्थ्य बनाएं’ का मंचन नागपाल के लेखन निर्देशन में तैयार किया गया। जिसे ‘रक्तदान अपनाएं बेहतर स्वास्थ्य बनाए’ राष्ट्रीय अभियान चलाने वाले हौसला फाउंडेशन के रंगकर्मी धरमश्री सिंह द्वार आमंत्रित किया गया। श्मशान घाट में मंचन के पीछे के उद्देश्य के बारे में बताया गया कि समाज में श्मशान घाट के प्रति फैली नकारात्मक भ्रांतियों को दूर करके करने की एक पहल है। श्मशान घाट में किसी को नहीं जाना चाहिए या औरतों को शमशान से दूर रहना चाहिए। धरमश्री ने कहा कि अधिकतर समाज के लोगों का मानना है कि श्मशान घाट में अतृप्त आत्माएं घूमती हैं। यह आत्माएं जीवित इंसानो के शरीर पर कब जा कर के अवसर ढूंढती हैं। जबकि ही अंधविश्वास है।

hausla foundation Drama staged on bhaisa kund cremation ground in lucknow-1

शास्त्रों ने नहीं लिखा कि महिलाएं अंतिमयात्रा में नहीं शामिल होंगी

रंगकर्मियों ने कहा कि शास्त्रों में कहीं नहीं लिखा है कि महिलाएं श्मशान घाट में या अपने करीबी के अंतिम संस्कार में शामिल होने नहीं जाएंगी। लेकिन आज महिलाओं को अंतिम संस्कार में शामिल होने से वंचित रखा जाता है। वंचित रखने के पीछे भी अंधविश्वास से भरी मानवता है कि अतृप्त आत्माएं महिलाओं को सबसे पहले अपना शिकार बनाती हैं। श्मशान घाट के दर्शकों को संबोधित करते हुए धरमसिंह ने कहा हमेशा से हमारे समाज में श्मशान घाट को अशुद्ध स्थान माना जाता है।

श्मशान भगवान शिव का है स्थान

शास्त्रों के अनुसार, श्मशान भगवान शिव का स्थान है। भगवान शिव का स्थान अशुद्ध कैसे हो सकता है। जिस स्थान पर रोजाना विशाल हवन होता है, मंत्र उच्चारण होता है। जिस पर शरीर से हमारा जन्म होता है। उस शरीर को हवन की भांति संस्कार किया जाता है, तो वह स्थान हमारे लिए किस तरह अशुद्ध हो सकता है। श्मशान वह स्थान है जहां हम कुछ क्षण के लिए ही सही काम, क्रोध, लोभ मोह, माया से मुक्त होकर जीवन के सत्य से परिचित हैं। जिस पर स्थान से हमें सत्य का मार्ग मिले वह तो महान तीर्थ स्थान है। वहां कैसी है शुद्धता और नकारात्मक शक्तियां बात कर सकती हैं। यह हमारे अंदर का भ्रम है।

श्मशान घाट पर रोजाना भ्रमण करने की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि इस अन्धविश्वास को दूर का सत्य मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। हम सब सब जानते हैं लेकिन स्वीकारते नहीं और जिस दिन सत्य स्वीकार लेते हैं उस दिन से हम ईश्वर के शरण में रहकर भयमुक्त होकर कार्य करते हैं। श्मशान को हमें भगवान शिव के पवित्र पवित्र स्थान समझ कर लगातार भ्रमण करने की आवश्यकता है। रक्तदान के प्रति प्रोत्साहन करने वाले नाटक में सशक्त एवं भावपूर्ण अभिनय को शक्ति वर्मा, अजय धीमान, विक्रम सिंह, अमृता सिंह, आशीष पांडेय, अंजना सिंह, सपना गजल, बबीता पांडेय, अनामिका मिश्रा, श्रुति, कीर्ति सिंह, पूनम सिंह ने रक्तदान के लिए उपस्थित दर्शकों को किया। वहीं पुरुष रंगकर्मियों के साथ महिला रंगकर्मियों अचला बोस, ज्योति पांडेय, पारुल कांत, चारु शुक्ला, विनीता सिंह, पूर्णिमा तिवारी, रश्मि कौर, तान्या सूरी, अनामिका शुक्ला, मनीषा त्रिपाठी, डॉक्टर लक्ष्मी निगम, दिव्या सिंह आदि ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर श्मशान घाट में महिलाओं के प्रवेश को वंचित रखने का संदेश प्रदान किया।

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