डिप्थीरिया हर महीने 25 से 30 मासूमों का गला घोंट रहा है, जबकि 100 से ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आ रहे हैं। अकेले केजीएमयू में ही रोजाना तीन से चार बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं जिनका इलाज केजीएमयू में चल रहा है। वहीं बीते सोमवार को तीन वर्षीय आराध्य की डिप्थीरिया के कारण मौत हो गयी थी। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं है।
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स्वास्थ्य विभाग छुपा रहा आंकड़े
- डिप्थीरिया की चपेट में आने के बाद हर महीने केजीएमयू में 100 से ज्यादा मासूमों को भर्ती किया जा रहा है।
- बाल रोग विभाग के डॉक्टर बताते हैं कि इस समय टामा सेंटर के बाल रोग विभाग में सात बच्चे भर्ती हैं।
- इन बच्चों में डिप्थीरिया की पुष्टि हो चुकी है। प्रदेश हर साल करीब 55 लाख शिशु जन्म ले रहे हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों के तहत सभी बच्चों का ही टीकाकरण होना चाहिए।
- लेकिन, सभी बच्चों का टीकाकरण नहीं हो रहा है लगभग 60 से 65 फीसदी बच्चों का ही टीकाकरण हो पाता है।
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- वहीं कुछ बच्चों का टीकाकरण अधूरा रह जाता है जो कि उनके लिए बाद में घातक साबित होता है।
- स्वास्थ्य विभाग के अफसर टीकाकरण के आंकड़ों में सुधार का दावा कर रहे हैं लेकिन, हकीकत बिल्कुल जुदा है।
- नियमित टीकाकरण न होने से बच्चों में तमाम तरह की बीमारियां घर कर रही हैं।
- ग्रामीण इलाकों की स्वास्थ्य सेवाएं तो और भी खस्ताहाल हैं।
- टीकाकरण न होने से बच्चों में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है।
- वहीं केजीएमयू में डिप्थीरिया से हुई मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग लीपापोती कर रहा है।
- हालात यह हैं कि टीकाकरण के आंकड़े देने में अफसर भी बच रहे हैं।
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