प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को सरकार द्वारा दिए खराब गुणवत्ता के जूतों के मामले को उच्च न्यायालय ने संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार से सवाल किया है. उच्च न्यायालय ने इस मामले में सख्त रुख इख्तियार करते हुए सरकार से जूतों की खरीद प्रक्रिया की रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है. गौरतलब है कि uttarpradesh.org की टीम इस खबर को पिछले कई दिनों से प्रमुखता से उठा रही है.
सरकार जूते की खरीद प्रक्रिया पर जमा करेगी रिपोर्ट :
बता दे कि uttarpradesh.org पिछले कुछ दिनों से निरंतर प्राथमिक स्कूलों के बच्चों की स्थिति को खबरों में दिखा रहा है. उत्तर प्रदेश के 1.54 करोड़ छात्रों को प्रदेश की योगी सरकार ने पिछले साल दिवाली में स्कूली जूते बांटे थे. इसी कड़ी में सरकार की तरफ से बच्चो को स्कूली जूते, स्वेटर, बैग की खराब गुणवत्ता को लेकर हमारी टीम ने खबर प्रकाशित की थी. खबर के मुताबिक सरकार द्वारा बांटे गये स्कूली जूते और बैग 2 महीने में ही फट गये. जूतों और बैग की हालत देख कर ही उनकी गुणवत्ता का पता चलता है.
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गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने इसी मामले में कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल को राज्य सरकार से जूतों की खरीद की टेंडर प्रक्रिया की रिपोर्ट पेश करने को कहा है. uttarpradesh.org द्वारा लगातार इस बारे में खबर प्रमुखता से प्रसारित हो रही थी. खबर पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मामले की गम्भीरता को समझते हुए स्कूली जूतों के लिए लागू टेंडर प्रक्रिया पर रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने के निर्देश दिए है.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन की लखनऊ खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिया की जूतों की खरीद प्रक्रिया की व्याख्या करने के लिए सचिव रैंक के अधिकारी को न्यायालय के लिए नियुक्त करें.
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन ने सुनाई के दौरान अफसरों को फटकार लगाते हुए कहा, “खबर पढ़ कर हम हतप्रभ है. ऐसा लगता है कि सरकार कुछ अच्छा करना चाहती थी, लेकिन जूते मोज़े की घटिया क्वालिटी ने उसका उद्देश्य ही विफल कर दिया. इसके लिए 266 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. अफसरों ने करदाताओं का पैसा बर्बाद कर दिया. इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए. यह मामला कठोर कार्रवाई का है.”
बता दे कि सरकार ने अक्टूबर में जूते की खरीद का निर्णय लिया था और नवम्बर में जूते खरीद कर बच्चों में बंटवा भी दिए. इसके लिए सरकार ने 266 करोड़ रूपए खर्च किया. प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में पढने वाले 8वीं तक के 1.54 करोड़ छात्रों को जूते बांटे जाने थे.
हाईकोर्ट ने सख्ती बरतते हुये सचिव को 11 अप्रैल को रिकॉर्ड के साथ तलब किया. कोर्ट ने आदेश दिया की जूते खरीद सम्बन्धी सभी रिपोर्ट्स कोर्ट में पेश किये जाये. बता दे कि हम यह खबर लगातार प्रसारित कर रहे थे. जिसके बाद जनहित याचिका की सुवाई के दौरान न्यायालय ने यह फैसला सुनाया.