पूर्वांचल के कुख्यात माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की 9 जुलाई को बागपत जेल में हत्या हो गयी थी. बता दें कि उसी दिन पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में मुन्ना बजरंगी की पेशी होनी थी. मुन्ना की हत्या के बाद उसकी अधिवक्ता स्वाति अग्रवाल ने कोर्ट से हत्या की इस घटना पर जांच की मांग की थी.  

मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले की सीबीआई से जांच:

उन्होंने कहा कि जेल परिसर में असलहा कैसे पहुंचा, इसकी भी जांच जरूरी है. साथ ही मुन्ना बजरंगी के परिजनों को क्षतिपूर्ति दिलाए जाने की भी मांग कोर्ट से की. अधिवक्ता अग्रवाल ने कोर्ट में कहा कि मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. इसके बाद कोर्ट ने स्वाति अग्रवाल की याचिका स्वीकार करते हुए आज की तारीख दी थी. आज सुनवाई में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग ठुकरा दी है.

 

मुन्ना बजरंगी को रविवार झांसी जेल से बागपत लाया गया था। उसे तन्हाई बैरक में कुख्यात सुनील राठी ओर विक्की सुंहेड़ा के साथ रखा गया था। उसकी जेल में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। जेल में माफिया डॉन की हत्या से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। जेल के भीतर हुई मुन्ना बजरंगी की हत्या से जेल प्रशासन पर कई सवालिया निशान उठने लगे गए.

जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या को लेकर कई अनसुलझे सवाल है. जो इस हत्याकांड को बहुत पेचीदा बना रहे हैं.

तस्वीरें भी खड़ा कर रहीं सवाल:

मुन्ना बजरंगी की मौत की से जुड़ी तस्वीरें भी बड़े सवाल खड़े कर रहीं है. सोशल मीडिया पर जो दो तस्वीरे तेज़ी से वायरल हुई उन में एक तस्वीर में गोली लगी और एक में नहीं लगी है. तस्वीर में साफ़ देखा जा सकता है. एक तस्वीर में मुन्ना के शव पर किसी गोली का निशान तक नहीं है. वहीँ दूसरी तश्वीर में मृतक मुन्ना बजरंगी की छाती पर गोली नहीं दिख रही है.

आखिर जेल में कैसे आई पिस्तौल?

सबसे पहला और बड़ा सवाल है कि आखिर जेल में पिस्तौल कब और कैसे पहुंची?

इसके बाद सवाल उठता है कि वारदात में क्या अकेला सुनील राठी शामिल था या उसके गैंग के सदस्यों की भी कोई भूमिका है?

बता दें कि इस मामले में हत्यारे सुनील राठी ने बताया कि पिस्तौल मुन्ना बजरंगी की थी. लेकिन उसका ये जवाब नाकाफी तो है ही. कई और सवाल खड़े करता है. जैसे अगर पिस्तौल मुन्ना बजरंगी की ही थी तो फिर राठी ने उसे गटर में क्यों फेंक दिया?

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