इलाहाबाद हाईकोर्ट के सख्त रूख के बाद आखिरकार ग्रेटर नोएडा, नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के सीईओ पद पर से हटाए गए रमा रमण ने अपना चार्ज छोड़ दिया है। जिसके बाद प्रदेश सरकार उनके पक्ष में खड़ी नजर आई है। सरकार का कहना है कि रमा रमण योग्य अधिकारी हैं, और उन्हें काबलियत के आधार पर नियुक्त किया गया है।
- हाईकोर्ट के दखल के बाद रमा रमण के मामले में बैकफुट पर आयी प्रदेश में सत्तासीन समाजवादी सरकार अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है।
- बताया जा रहा था कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए लंदन से फोन करके रमा रमण को सभी पदों से हटाने के आदेश दिए।
- इसके बाद संजय अग्रवाल को तीनों प्राधिकरणों का सीईओ बनाने की चर्चा उठी, संजय अभी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन हैं।
- मालूम हो कि 1 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना एक्सप्रेस-वे अथारिटी के मुख्य कार्यपालक का पद संभाल रहे आईएएस रमा रमण पर सीईओ के रूप में काम करने पर रोक लगा दी थी।
- हाईकोर्ट ने तीन दिन पहले रमा रमण पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब प्रदेश में कई योग्य अफसर हैं तो तीनों प्राधिकरणों का जिम्मा एक ही व्यक्ति को क्यों दिया गया है।
- हाईकोर्ट ने रमा रमण के इन पदों पर कार्य करने की रोक लगाने के साथ ही यह मामला मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाले बोर्ड को सौंप दिया था।
- इसके साथ ही हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकरा को दो हफ्ते के अंदर रमा रमण का तबादला करने के आदेश दिए थें, कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को उनका तबादला गौतमबुद्ध जिले के बाहर करना होगा।
- बता दें कि चाहे सूबे में मायावती की सरकार रही हो या वर्तमान अखिलेश सरकार दोनों ही रमा रमण पर मेहरबान रहे हैं।
- नोएडा, ग्रेटर नोएडा या फिर यमुना एक्सप्रेस-वे में कितने ही घोटाले क्यों ना हुए हों, रमा रमण की कुर्सी बरकरार रही।