उत्तर प्रदेश के गाली कांड में बसपा के विरोध प्रदर्शन को हाई कोर्ट ने प्रशासनिक चूक मानते हुए, इसके लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
बिना अनुमति हो रहे प्रदर्शन को न रोकने के लिए पुलिस अफसरों पर गिरी गाज:
- उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गाली प्रकरण पर बसपा द्वारा बिना अनुमति किये गए प्रदर्शन को न रोकने वाले जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
- हाई कोर्ट ने यह आदेश वर्तमान राज्य सरकार को दिए हैं और राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए तीन हफ़्तों का समय दिया है।
- इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को की जाएगी।
- हाई कोर्ट जस्टिस एपी साही और जस्टिस विजय लक्ष्मी की बेंच ने बुधवार को दाखिल एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए संविधान द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकारों की व्याख्या के तहत ये आदेश दिया।
- वैसे तो सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों के तहत इसकी व्याख्या करी है, लेकिन यह मामला थर्ड पर्सन के हक़ का है, जो इस पूरे घटनाक्रम का हिस्सा नहीं है फिर भी वह सब कुछ सुनना पड़ता है, जो सामाजिकता के हिसाब से अश्लील है।
- कोर्ट ने ये भी कहा कि, वो थर्ड पर्सन के अधिकारों की व्याख्या करने को तत्पर है।
- कोर्ट ने इसके लिए अवध बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर वरिष्ठ वकीलों का सहयोग माँगा है।
- गौरतलब है की यह याचिका 57 साल की एक महिला ने दायर की है, जिसमें टीवी पर प्रदर्शन की क्लिप के दौरान उसके बच्चे ने क्लिप में दी जा रही गालियों का मतलब पूछा।
- जिसके बाद याची ने अपने संवैधानिक अधिकारों की व्याख्या के लिए कोर्ट में पीआईएल दायर की थी।