प्रदेश के ग्रामीण व कृषि क्षेत्र के (High disclosure) विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में 260 से 350 प्रतिशत वृद्धि पर उ0 प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आज एक बड़ा खुलासा करते हुए पावर कार्पोरेशन द्वारा उपभोक्ताओं को धोखा दिये जाने का आरोप लगाते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग उठायी गयी है।
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इस स्कीम के तहत हुआ था समझौता
- उपभोक्ता परिषद ने कहा कि विगत वर्ष उ0 प्र0 सरकार, भारत सरकार व पावर कार्पोरेशन के बीच उदय स्कीम के तहत त्रिपक्षीय समझौता हुआ था।
- जिसमें बिजली कम्पनियों की सेहत में सुधार हेतु अनेकों वित्तीय मानक तय किये गये थे।
- जिसमें आगामी वर्षों में बिजली दर वृद्धि भी अनुमानित थी।
- परन्तु बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड रहा है कि अब पावर कार्पोरेशन इस त्रिपक्षीय समझौते से पीछे हटते हुए उपभोक्ताओं को बड़ा धोखा देते हुए उ0 प्र0 सरकार की छवि धुमिल करायी जा रही है।
- उसी आधार पर बिजली दरों में कई गुना बढ़ोत्तरी कर दी है।
- जो पूरी तरह असंवैधानिक है।
- उपभोक्ता परिषद ने कहा कि इस त्रिपक्षीय उदय के समझौते के तहत वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक बिजली दरों में (High disclosure) बढ़ोत्तरी व एटीसी हानियों को अनुमानित कर उस पर लाने का लक्ष्य रखा गया था जो इस प्रकार है।
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वित्तीय वर्ष एटीसी हानियां प्रस्तावित विद्युत वृद्धि
2017-18 23.63 प्रतिशत 6.95 प्रतिशत
2018-19 19.36 प्रतिशत 6.80 प्रतिशत
2019-20 14.86 प्रतिशत 6.60 प्रतिशत
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22.66 प्रतिशत की औसत वृद्धि क्यों?
- उ0 प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कम्पनियों द्वारा 2 दिन पूर्व पावर कार्पोरेशन में जो बिजली बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव सौंपा गया।
- उसमें अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन की तरफ से जो शपथ पत्र दिया गया।
- उसमें सबसे ऊपर यह लिखा गया है कि उदय स्कीम के तहत अलग अलग वर्षों में जो बिजली दर बढ़ोत्तरी प्रस्तावित थी को संज्ञान में लिया गया है।
- सवाल यह उठता है कि यदि वर्ष 2017-18 उदय स्कीम के तहत औसत वृद्धि को आधार माना गया।
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- तो वह 6.95 प्रतिशत (High disclosure) से अधिक नही होनी चाहिये थी?
- फिर बिजली कम्पनियों द्वारा 22.66 प्रतिशत की औसत वृद्धि क्यों प्रस्तावित की गयी?
- इसी प्रकार पूरे प्रदेश में एटीसी हानियों का हाल यह है कि आज भी अनेकों ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर एटीसी हानियां 50 प्रतिशत से भी ऊपर हैं जो पावर कारपोरेशन की अक्षमता को दर्शाता है।
- आज भी एटीसी हानियां 30 से 35 प्रतिशत के बीच कम्पनियों में आम बात हैं।
- ऐसे में इसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ता क्यों भुगतेंगे?
- उपभोक्ता परिषद प्रदेश के मुख्यमंत्री से यह मांग करता है कि मुख्यमंत्री उदय स्कीम के तहत त्रिपक्षीय समझौते के वित्तीय पहलुओं को लागू कराया जाये।
- त्रिपक्षीय समझौते के विपरीत बिजली कम्पनियों द्वारा जो उपभोक्ता विरोधी कार्यवाही कराकर उ0 प्र0 सरकार की छवि धुमिल की जा रही है उसे बचाया जाये।
- अन्यथा की स्थिति में (High disclosure) प्रदेश का गरीब किसान लालटेन युग में जाने के लिये विवश होगा।
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