उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में उच्च शिक्षा व्यवस्था धड़ाम नजर आ रही है। शिक्षा को लेकर जितना दिशाभ्रम सरकारी शिक्षा विभाग और समाज के स्तर पर है उतना शायद ही प्रदेश के किसी और जिले में होगी। यही वजह है कि एक ओर जहां अमेठी भारत की राजनीति में ‘राजनीति-शिरोमणि’ के रूप में खुद को स्थापित करने का दावा करती हैं। वहीं दूसरी ओर अमेठी अक्सर इस बात पर भी अफसोस जताती है कि भारत के उच्चकोटि के सरकारी शिक्षण संस्थानों की सूची में हमारे यहां का कोई भी शिक्षण संस्थान अपनी जगह नहीं बना पाता।

higher education amethi

दावे बड़े लेकिन हकीकत कुछ और

  • राज्य सरकार भी प्रदेश में उच्च शिक्षा को लेकर भले ही कितने दावे करे लेकिन हकीकत इससे अलग है।
  • दरअसल उच्च शिक्षा के मामले में अमेठी की हालत प्रदेश में सबसे खराब नजर आ रही है।
  • अमेठी की हालत इससे ही समझी जा सकती है जिले के गठन को वर्षों बीत जाने के बाद भी आज राजकीय महाविद्यालय मुसाफिरखाना के पट पर छत्रपति शाहू महाराज नगर ही अंकित है।
  • उच्च शिक्षा के गिरते स्तर और सरकारी लापरवाही के विरोध मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने सख्त विरोध जताया है।
  • अभाविप के प्रदेश महामंत्री अरुण मिश्र ने बताया कि मुसाफिरखाना राजकीय महाविद्यालय मुसाफिरखाना में मूलभूत सुविधाओं का टोटा बना हुआ है।
  • कैम्पस में उगी झाड़िया, प्रयोगशाला में उपकरणों और फर्नीचर तथा शौचालयों की कमी और बन रहे नयी इमारतों में घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग जैसी समस्या सहित अनेक समस्याएं बनी हुई हैं।

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नए संस्थानों की सेहत बिगाड़ रही सरस्वती

  • लेकिन कॉलेज प्रशासन इस ओर से आंखें मूंदे बैठा है।
  • यहां सरकारी उच्च शिक्षा की वह गति नहीं बन पाई, जो वास्तव में होनी चाहिए।
  • इसे सुधारने-संवारने के लिए बनाई गई दर्जनों रिपोर्टें फाइलों में धूल फांक रही हैं।
  • इन्हें लागू कराने में किसी किसी की कोई दिलचस्पी नहीं दिखती हां, निजी विश्वविद्यालय खोलकर उच्च शिक्षा में पलीता लगाने का काम जोरो पर है।
  • चमक-दमक वाले इन संस्थानो पर लक्ष्मी तो खूब बरस रही है, पर सरस्वती की सेहत बिगड़ रही है।

गांधी के इस गढ़ में युवा बेहाल

  • इन संस्थानों ने सरकारी उच्च शिक्षा में एक नई फांस गले में डाल दी है, जो न निगलते बन रही है, न ही उगलते।
  • आखिर उच्च शिक्षा किस दिशा में जा रही है? अमेठी के युवाओं ने गांधी के इस गढ़ में सुनहरे भविष्य का सपना देखा था लेकिन सरकारी उच्च शिक्षा की बिगड़ती स्थिति ना सिर्फ युवाओं को अंधकार की ओर धकेल रही है।
  • बल्कि रोजगार मुहैया कराने में नाकाम साबित हो रही है।
  • सरकार को प्रदेश के इस जिले में उच्च शिक्षा के हालात पर मंथन कर बुनियादी ढांचे को और मजबूत करना होगा, नहीं तो लगातार कामचलाऊ शिक्षा देकर ‘बेरोजगारों की फौज’ खड़ी करते जाएंगे और सरकार को बेरोजगारी भत्ता बाटती रहेगी।
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