एक ज़माने में गाँधी परिवार की करीबी रहीं रीता बहुगुणा ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया है. इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह की तारीफें करनी शुरू कर दी है. लेकिन सवाल अब ये उठने लगे हैं कि सालों तक बीजेपी और आरएसएस को कोसने वाली रीता आखिर ये खुले मन से कर रही हैं या केवल राजनीतिक स्वार्थ वश.
सांप्रदायिकता फ़ैलाने का आरोप लगाते हुए भाजपा व आरएसएस को कोसने वाली रीता बहुगुणा जोशी अब उन्हीं के कसीदे पढ़ेंगी. यह सवाल ऐसा है कि इस पर बीजेपी के कार्यकर्ताओ मे भी अन्दरखाने चर्चा शुरु हो गई है. बीजेपी में शामिल होना रीता के लिए भले आसान रहा हो या नहीं लेकिन बीजेपी में इसकी चर्चा भी तेज हो गई है.
बीजेपी में भी बहुगुणा को लेकर शंशय:
कांग्रेस की तरफ से टीवी चैनलो पर बीजेपी औऱ आरएसएस को कोसने वाली रीता अब कैसे जनता के बीच संघ की तारीफ करेंगी. जनता कैसे उनकी बातों पर यकीन करेगी.
- बीजेपी की सभाओ मे उनका कैसे इस्तेमाल होगा इस पर भी सवाल है.
- रीता ने यह फैसला पूरी तौर से हवा का रुख भांप कर लिया है.
- ब्राह्मण महिला नेता शीला दीक्षित को विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने सीएम प्रोजेक्ट किया.
- रीता अच्छे दिनों को लेकर नरेंद्र मोदी व अमित शाह पर तंज कसती रहती थीं.
- सियासी वजूद पर खतरा दिखा तो अब रीता को अचानक बीजेपी अच्छी लगने लगी है.
- उन्हें मोदी सरकार से लेकर भाजपा तक में सब कुछ ‘अच्छा’ लगने लगा है।
- अब वो मोदी और शाह की नीतियों पर सवाल नहीं उठा रही हैं.
- अचानक उनको राहुल में कमियां दिखने लगी है.
आखिरकार रीता बहुगुणा ने 24 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद भाजपा का दामन थाम ही लिया। पिता हेमवती नंदन बहुगुणा का मुसलमानों के बीच खासा प्रभाव था. इसका फायदा कांग्रेस में रहते हुए रीता को भी मिला। लेकिन अब रीता बहुगुणा का कैसे इस्तेमाल किया जाए इसको लेकर बीजेपी में शंशय बरक़रार है.