अभी तक आपने इतिहास की किताबों में मानव को गुफाओं में रहने के कई किस्से पड़े होंगे। लेकिन उत्तर प्रदेश में 21वीं सदी के दौर में भी ऐसे हालात हैं कि लोग गुफाओं में रहने को मजबूर हैं। ताजा मामला बलिया जिला का है यहां गुफाओं के अंदर रह रहे आदमी की ये तस्वीर विकास की हकीकत बयां कर रही है।

बता दें कि बलिया जिला के बैरिया तहसील के दर्जनों गांव बाढ़ के प्रकोप के कारण तबाह चुके हैं। हज़ारों लोग बेघर हो चुके हैं लेकिन सरकारों की उदासीनता हर पैमाने को तोड़ती हुई आगे बढ़ रही है। यहां कोई मानवीय संवेदना की जगह नहीं बचती दिखाई दे रही है। ये कुछ तस्वीरें जिला प्रशासन के उस खोखले दावे को आइना दिखा रही हैं। ये तस्वीर किसी भी मानवीय संवेदना को झकझोर देगी।

human forced to live in caves in ballia-1

हम सभी ने अभी तक यही पढ़ा-सुना है कि आदि-मानव गुफाओ में रहते थे। मगर बलिया जिला के बैरिया तहसील के ग्राम पंचायत चौबेछपरा (ब्लॉक बेलहरी) निवासी रमेश पाठक आज के इस डिजिटल युग में भी गुफा के अंदर रहने को मजबूर हैं। बाढ़ व कटान से बेघर हुए लोगों के लिए स्थानीय प्रशासन कितना लापरवाह है ये तस्वीर काफी कुछ कह रही है। इस तस्वीर को देखने के बाद राज्य सरकार के उस नारा पर सवालिया निशान लग जाता है।

जिसमें कहा गया है कि “सबका साथ, सबका विकास” या केंद्र सरकार के उस दावे की पोल खोलता है। “सबका घर हो अपना, पूरा होगा अपना सपना”। खबरों के मुताबिक, रमेश पाठक जैसे सैकड़ो लोगों ने अपना घर मकान, खेत सबकुछ गंगा की बाढ़ में विलीन होते देखा और सहा है। तब से अब तक जिला प्रशासन ने लाख दावे किये कि उसके द्वारा कटान पीड़ितों के लिए खूब जतन किया गया। मगर ये तस्वीर उन दावों पर करारा तमाचा है। सिर पर छत के अभाव में रमेश पाठक गंगा किनारे अरार में कंदरा (गुफा) बनाकर रहते हैं।

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