बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की तरह देवरिया नारी संरक्षण गृह में भी देह व्यापार का खुलासा हुआ है। संरक्षण गृह से किसी तरह भागी एक बालिका ने रविवार शाम पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस ने देर रात में छापा मारा तो सूची में दर्ज कुल 42 लड़कियों में से 24 ही मिली। बाकी 18 लड़कियों की तलाश की जा रही है। पुलिस ने संरक्षण गृह संचालिका गिरिजा त्रिपाठी को पति मोहन समेत पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस की जांच में यहां से मानव तस्करी की भी बात सामने आ रही है। इस संबंध में डीजीपी ओपी सिंह ने कहा है कि देवरिया में अवैध संरक्षण गृह के बारे में सूचना मिली थी जिस पर देवरिया पुलिस ने छापा मारा और 24 लड़कियों को मुक्त कराया । SP देवरिया को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।
रोते हुए घर वापस आती थीं लड़कियां
पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने रविवार देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बिहार के बेतिया की 10 साल की बालिका किसी तरह मां विंध्यवासिनी महिला एवं बालिका संरक्षण गृह से निकलकर महिला थाने पहुंची और वहां होने वाली अनियमितताओं के बारे में बताया। उसने बताया कि शाम 4:00 बजे के बाद रोजाना कई लोग आते हैं और लड़कियों को लेकर चले जाते हैं। लड़कियां लग्जरी वाहन से ले जाई जाती हैं और वापस देर रात में लौटती थी। लड़कियां मैडम (संचालिका) के संग जाती थी। किशोरी ने बताया कि संरक्षण गृह में भी गलत काम होता है। बालिका के मुताबिक उसे झाड़ू पोछा तथा घर के अन्य काम कराए जाते हैं। एसपी ने बताया मानव तस्करी देह व्यापार, बाल श्रम से जुड़ी धाराओं में केस दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। पत्रकार वार्ता मेें एसपी के साथ जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार और बाल संरक्षण अधिकारी जेडी तिवारी मौजूद थे।
वर्ष 2017 में खत्म की जा चुकी मान्यता
एसपी रोहन पी. कनय ने बताया कि गड़बड़ियों के चलते संरक्षण करें कि मान्यता जून 2017 में खत्म कर दी गई थी। सीबीआई ने भी अनियमितताओं को चिन्हित कर रखा है। संचालिका हाईकोर्ट से स्थगन आदेश लेकर इसे चला रही थी। रजिस्टर में 42 लड़कियां थी 18 नहीं मिली। उसका पति संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।
संचालिका ने पुलिस पर लगाया आरोप
उधर संचालिका गिरजा त्रिपाठी ने कहा संरक्षण गृह में कोई गलत काम नहीं होता है। लड़की पुलिस के कब्जे में है वह उससे जो चाहे कहलवा ले। रजिस्टर में जितनी लड़कियां दर्ज हैं मौके पर उतनी ही मिली हैं। संस्था की मान्यता समाप्त नहीं है बल्कि स्थगित है और मामला कोर्ट में विचाराधीन है।