कहते है कि बच्चे देश का भविष्य है. सरकार इस भविष्य को सवारने के लिए कई तरह कि योजनायें लाती है मगर कोई भी योजना तभी रंग लाती है जब जमीनी स्तर पर ईमानदारी से काम हो. कानपुर में सरकारी मिली भगत से बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का मामला सामने आया है. यहाँ सिस्टम ने ऐसा खेल किया कि सैकड़ों बच्चों को केवल कागजों पर ही किताबें बंट गयी.
समीक्षा बैठक में दी गई लिस्ट से हुआ खुलासा:
मामला तब प्रकाश में आया जब एडी बेसिक को समीक्षा बैठक में लिस्ट सौंपी गई. प्राथमिक परिषदीय विद्यालयों में 1,10,244 जबकि उच्च माध्यमिक परिषदीय विद्यालयों में 36,303 छात्रों को किताबें मिलनी थी. कागजों में विभाग ने परिषदीय स्कूलों और मदरसों में नए सत्र की पोशाकें और किताबें बाँट दी है. कानपुर शहर में परिषदीय स्कूलों और मदरसों के लगभग 1.95 लाख छात्रों को किताबें और पोशाक मिलने थी, दस्तावेजों में विभाग ने वितरण की प्रक्रिया पूरी कर ली है मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है.
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]आंकड़ों में पोशाक का हुआ शत प्रतिशत वितरण,हकीकत इसके उलट[/penci_blockquote]
विभाग के अनुसार एक भी छात्र नहीं छूटा:
रिपोर्ट की माने तो पोशाक वितरण का कार्य शत प्रतिशत पूरा किया जा चुका है. विभाग के अनुसार हर छात्र को दो जोड़ी पोशाक दी गई है. इसके मुताबिक़ समाज कल्याण विभाग के अनुदानित उच्च माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालयों, अनुदान लेने वाले मदरसों में भी शत प्रतिशत किताबें बांटी जा चुकी है. फिलहाल जूतों के वितरण के संबंध में कोई आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आया है.
बैठक में नहीं पहुंचे बीएसए:
आंकड़ों के इस खेल के बावजूद भी बीएसए ऐडी बेसिक की समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुए. कुछ ने केन्द्रीय टीम के साथ कार्यक्रम बताया तो कुछ ने अपना प्रतिनिधि भेज दिया. ऐडी बेसिक डॉ. फ़तेह बहादुर सिंह के मुताबिक़ बेसिक शिक्षा अधिकारी के न की बात मंडलायुक्त की बैठक में भी उठी थी. केवल कानपुर देहात बीएसए संगीता ने समीक्षा बैठक में हिस्सा लिया.
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