उत्तर प्रदेश सरकार भले ही आंकड़ों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने के लाख दावे कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। दरअसल यूपी में ध्वस्त हो चुकी 108 एम्बुलेंस सेवा के चलते मरीज कहीं अपने पिता के कंधों पर दम तोड़ रहे हैं तो कहीं परिजन मरीज को ठेलिया और चारपाई से ढो रहे हैं। ये हम नहीं बल्कि पिछली कई घटनाएं इसका जीता जगता उदाहरण है। हालांकि इस मामले में अब विभागीय अधिकारी कार्रवाई की बात कह रहे हैं। इन मामलो को अभी लोग सही से भूल भी नहीं पाए थे कि बदायूं में इंसानियत को झकझोर देने वाला मामला प्रकाश में आया है। यहां एम्बुलेंस के अभाव में एक पीड़ित पति को पत्नी का शव कंधे पर लादकर ले जाना पड़ा। संवेदनहीन अस्पताल प्रशासन ने शव रखने के लिए स्ट्रेचर तक नहीं दिया। मामले का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं।
डीएम ने दिए जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश
जानकारी के मुताबिक, मूसाझाग थाना क्षेत्र के ग्राम मझारा निवासी सादिक की पत्नी मनीषा को इलाज के लिए बदायूं के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां इलाज के दौरान मनीषा की मौत हो गई। मनीषा की मौत से उसके परिवार में कोहराम मच गया। दुःख की इस घड़ी में पीड़ित परिवार को एक और जख्म उस वक्त दे दिया जब उसे अस्पताल प्रशासन ने एक स्ट्रेचर तक नहीं दिया। ये उस वक्त की बात है जब जिला अस्पताल में दो दो शव वाहन मौजूद थे। अस्पताल प्रसाशन नई निर्दयिता का शिकार सादिक आखिर अपनी पत्नी को कंधे पर ही लादकर लेकर चला गया। मामला संज्ञान में आने पर जिलाधिकारी ने सिटी मजिस्ट्रेट को जांच सौंपी है। सिटी मजिस्ट्रेट ने मामले की छानबीन शुरु कर दी।