मथुरा और वृन्दावन भले ही गुरु पूर्णिमा पर्व को लेकर नगर निगम प्रशासन तमाम तरह के दावे कर रहा है लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसो दूर है.
जहाँ एक ओर निगम अधिकारियों द्वारा सम्बंधित अधिकारियों को जलभराब की स्थिति से निपटने के पुख्ता इंतजामात किये जाने के निर्देश दिए जा रहे. वही बुधबार को हुई बारिश से नगर के कई स्थानों पर हुए जलभराब ने निगम प्रशाशन के दावों की पोल खोलकर रख दी है.
बारिश की वजह से कई सडकों पर जलभराव:
जहाँ नगर के गोपीनाथ बाजार में कई महीनों से नालियो से सिल्ट न निकलने के कारण भारी जलभराव की स्थिति बन गयी है, वही ऐसा ही कुछ हाल नगर के मथुरा दरवाजा क्षेत्र स्थित सीएफसी के समीप देखने को मिला. जिसके चलते लोगो को भारी जलभराव से होकर गुज़रना पड़ा. गुस्साये लोगो का कहना था कि जब से धार्मिक नगरी वृन्दावन को नगर पालिका से निगम में शामिल किया गया है जब से हालात बद से बदतर बने हुये हैं.
निवासियों का क्या है कहना?
इस संबंध में गोपीनाथ बाजार निवासी हरिबाबू शर्मा का कहना था कि क्षेत्र में जलभराब की समस्या लंबे समय से है लेकिन पालिका के कार्यकाल में सफाई कर्मचारियों द्वारा मानसून को देखते हुये पहले से ही जलभराब की स्थिति से निपटने के लिये इंतज़ामात कर लिये जाते थे. जिसके चलते क्षेत्रीय लोगों को जलभराब की स्थिति से अधिक समय तक नही निपटना पड़ता था.
लेकिन अब हालात यह है कि यदा कदा कोई कर्मचारी नालियों में भरी सिल्ट को निकालने आ भी जाता है तो उसके उठने के लिए लोगों को कर्मचारियों की राह तकनी पड़ती है. जिसके चलते नालियों से निकली सिल्ट पुनः नालियों में ही भर जाती है और नालियों का पानी सड़को पर उफान मारना शुरू हो जाता है. बाकी की कसर मानसून के चलते होने वाली बारिश पूरी कर देती है जिसके चलते क्षेत्र में जलभराब की स्थिति बन जाती है ,
दिए गये थे कड़े निर्देश:
यहां बताते चलें कि मथुरा वृन्दावन नगर निगम के प्रथम मेयर डॉ मुकेश आर्यबन्धु ने कुछ दिन पूर्ब वृन्दावन स्थित निगम कार्यालय में निगम अधिकारियो, सफाई नायकों एवं क्षेत्र में कार्यरत सफाई कर्मचारियों की बैठक लेकर सख्त आदेश दिए गए थे कि गुरु पूर्णिमा पर्व पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुये पहले से ही जलभराब की स्थिति से निपटने की पुख्ता इंतजाम कर लिए जायें जिससे कि बाहर से आने वाले श्रद्धालु यहां की साफ सफाई की व्यवस्था को देख अच्छा संदेश लेकर जाये।
लेकिन महापौर की आदेशों की उस समय पोल खुल गयी जब गुरुपूर्णिमा पर्व से दो दिन पूर्व हुई बारिश से नगर के कई क्षेत्रों में जलभराब की स्थिति उत्पन्न हो गयी जिसके चलते क्षेत्रीय लोग निगम अधिकारियों को कोसते हुये नज़र आये .
अब देखना यह होगा कि क्या गुरुपूर्णिमा पर्व से पहले निगम अधिकारी जल भराव से होने बाली समस्या से छुटकारा दिला सकेंगे या फिर दूर दराज से आने वाले हजारों श्रद्धालुओ को बारिश और चौक हुई नालियों से होने वाले जलभराब के बीच से ही गुजरकर गुरु शिष्य परम्परा का निर्वहन करेंगे।
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