सरकारी योजनाओं को जमीन पर कैसे उतारा जाता है यह कोई आईएएस बी. चन्द्रकला से सीखे. साल भर पहले मेरठ में बी. चन्द्रकला ने स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत जिले को ओडीएफ यानी खुले में शौच से मुक्त करने की जो मुहिम छेड़ी, वह अब कामयाबी के आसमान पर है. मेरठ खुले में शौच प्रथा से मुक्त हो गया है. क्रांतिधरा मेरठ की जनता ने अपनी सहभागिता की ऐसी क्रांति की कि यह मुश्किल काम भी संभव हो गया.
सिस्टम को ठीक करने का उठाया बीड़ा:
- पिछले वर्ष 2016 में जब बी. चन्द्रकला को जिले की कमान मिली तो पूरी जिला डेगूँ और चिकिनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहा था.
- जिले के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में बीमारों की भरमार था और स्वास्थ्य महकमा का सिस्टम चरमराया हुआ था.
- यह वो वक्त था जब प्रदेश भर में सरकारी फार्मासिस्ट ने अपनी मांगो को लेकर हड़ताल कर दी थी.
- आईएएस बी0 चन्द्रकला ने स्वास्थ्य विभाग को सुधार की राह पर लाकर छोड़ा और जिले के लोगों को बीमारियों से निजात दिलाने की ठानी.
- गंदगी और खुले में शौच की समस्या से जूझ रहे मेरठ को स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत ओडीएफ करने का उन्होने संकल्प लिया.
- जिले के सभी सरकारी विभागों के अफसर, कर्मचारियों को उन्होने इस अभियान से जोड़ा और उन्हें विश्व बैंक की टीम से जनता को जागरूक करने की ट्रेनिंग दिलाई गयी.
- इस अभियान को उन्होने “मेरठ महान” का नारा दिया और खुद ही इस कैम्पेन का लॉगो डिजाइन किया.
- जिले के गाँवो में उन्होने मास्टर ट्रैनर्स से ट्रिंगरिंग कराई और जिले के बुद्धिजीवी वर्ग को इस अभियान में सहभागी बनाया.
- चन्द्रकला की टीम में सीडीओ IAS विशाख और जिला पंचायतीराज अधिकारी ए.के. सिंह की भूमिका बेहद अहम रही.
आईएएस बी चंद्रकला ने बदली शहर की सूरत
- वह खुद अपनी टीम के साथ जन-जागरण के लिए सुबह 3 बजे गाँव के लिए निकल जाया करती थी.
- उन्होने शौचालय को जरूरत से ही नही, घर की महिलाओं और पुरूषों की इज्जत से जोड़ा और शौचालय को “इज्जतघर” नाम दिया.
- मेरठ की धऱती 1857 की क्रांति के लिए जानी जाती है.
आईएएस चन्द्रकला ने जनता को उनका इतिहास याद दिलाया
- आईएएस चन्द्रकला ने जनता को उनका इतिहास याद दिलाया और जिले को ओडीएफ कराने के लिए एक क्रांति का आह्वान करने का संकल्प कराया.
- उनकी सोच का ही असर था कि सबल ग्रामीणों ने अपने खर्चे से ही “इज्जतघर” बनाना शुरू किये.
- “इज्जतघर” बनाने के लिए चन्द्रकला स्वयं ग्रामीण की देहरी तक पहुँचती थी और शौचालय बनाने के लिए गड्डा बनाने की शुरूआत करती थी.
- जिले की डीएम को अपनी देहरी पर देखकर ग्रामीणों ने अभियान की गंभीरता को समझा और उनकी बात मानकर शौचालय बनाये.
- आईएएस चन्द्रकला के इस अभियान का ही असर है कि अब मेरठ को खुले में शौचमुक्त जिला घोषित किया गया है.