राजधानी के आशियाना स्थित सेक्टर एल में बीते तीन दिनों से खुलेआम झील पर अवैध निर्माण चल रहा है। इसके बावजूद लखनऊ विकास प्राधिकरण मूकदर्शक बना हुआ है और कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता की जा रही है। दिलचस्प यह कि बीते मंगलवार को नगर आयुक्त उदयराज ने एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन. सिंह को पत्र भी लिखा। उन्होंने कहा, जहां निर्माण हो रहा है वह निगम की संपत्ति है। जब निगम ने काम रुकवाने का प्रयास किया तो निर्माणकर्ता ने तर्क दिया कि वे एलडीए के आवंटी हैं। इसलिए वह एलडीए के कहने पर ही निर्माण रोकेंगे। यानी एक तरह से एलडीए ही निर्माण के लिए जिम्मेदार है।
नगर आयुक्त ने एलडीए वीसी को लिखा पत्र
- आशियाना के सेक्टर एल स्थित तालाब की जमीन बीते तीन दिनों से अवैध निर्माण चल रहा है।
- निर्माण को रोकने के संदर्भ में एलडीए व नगर निगम गेंद एक दूसरे के पाले में डाल रहे हैं।
- लिहाजा, नतीजा सिफर है। बुधवार को भी यहां निर्माण कार्य जारी रहा।
- देखते ही देखते बाउंड्रीवाल खड़ी कर दी गई है। वहीं, बड़ी संख्या में लोग असलहों के साथ यहां मौजूद रहते हैं।
- इस बाबत, नगर आयुक्त उदयराज सिंह ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रभु नारायण सिंह को पत्र लिखा है।
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- इसमें कहा है ग्राम किला मोह मदी नगर, तहसील सरोजनी नगर की खसरा संख्या 171 राजस्व अभिलेखों में तालाब दर्ज है।
- जो नगर निगम की निहित संपत्ति है।
- उक्त खसरा संख्या पर जीतेन्द्र सिंह, अजय अग्रवाल, पूर्णिमा सिंह व अरविंद दुबे द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है।
- नगर निगम के लेखपाल ने उक्त अवैध निर्माण कार्य को रोकने का प्रयास किया।
- लेकिन अवैध कब्जेदारों ने निर्माण कार्य नहीं रोका।
- मौके पर मौजूद कब्जेदारों ने बताया कि वह एलडीए के आवंटी हैं।
- इसलिए एलडीए के निर्देश पर ही कार्य कर रहे हैं।
- लिहाजा आयुक्त ने कहा कि एलडीए अवैध निर्माण को रोकवाने व तालाब की भूमि को सुरक्षित रखने की कार्रवाई करें।
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हाईकोर्ट ने यथास्थिति का दिया था आदेश
- तालाब संख्या 171 की भूमि के संबंध में राजस्व परिषद में योजित निगरानी संख्या 2287/2015।
- लखनऊ केजीएन सहकारी समिति लिमिटेड बनाम उत्तर प्रदेश सरकार आदि में पारित आदेश।
- दिनांक 11 मार्च 2016 द्वारा खसरा संख्या 171 की 1.723 हेक्टेयर भूमि तालाब के खाते से खारिज करके।
- केजीएन सहकारी आवास समिति लिमिटेड द्वारा सचिव हरिनाम सिंह के नाम दर्ज किये जाने के आदेश प्रदान किये गए।
- राजस्व परिषद के आदेश के विरुद्ध नगर निगम द्वारा रिट याचिका नगर निगम बनाम बोर्ड ऑफ रेवेन्यू व अन्य योजित की गई।
- उक्त रिट में उच्च न्यायालय ने पारित आदेश दिनांक 27 जुलाई 2017 से राजस्व परिषद के उपरोक्त आदेश को स्थगित कर दिया गया।
- मौके पर यथास्थिति बनाये रखने के आदेश पारित किये गए, जो वर्तमान में भी प्रभावी हैं।
एलडीए का तर्क
- इससे पहले एलडीए के उपाध्यक्ष ने कहा था कि उन्होंने अधिशासी अभियंता रोहित के नेतृत्व में मौके पर टीम भेजी थी।
- उन्होंने बताया कि उनके पास जो मानचित्र है, उसमें खसरा संख्या में कुछ फर्क आ रहा है।
- वह बोले, झील से छेड़छाड़ नहीं होने दी जाएगी।
- अगर, एलडीए की ओर से खसरा संख्या 171 पर भूखंड आवंटित हुए हैं तो उन्हें समायोजित किया जाएगा।
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- इस संबंध में सेक्टर एल में तालाब पर निर्माण करने के आरोपी आवंटियों ने अपना तर्क दिया।
- भूखंड संख्या 1/221 से 1/238 तक एलडीए द्वारा स्वीकृत मैप बनाकर विभिन्न आवंटियों को आवंटित कर रजिस्ट्री की है।
- पर आज तक भौतिक कब्जा नहीं दिया गया जबकि पहली रजिस्ट्री 2013 में कर दी गई थी।
- हम बीते 14 साल से एलडीए के विभिन्न अधिकारियों के चक्कर लगाते रहे लेकिन कब्जा नहीं मिला।
- चार अगस्त 2017 को एलडीए सचिव ने आवंटियों की बैठक की।
- इसमें अर्जन व अभियंता विभाग के अधिकारी शामिल थे।
- सचिव ने ले आउट अनुसार, निर्माण कराने की सहमति दी।
- अब कब्जा लेने पर एलडीए ही व्यवधान उत्पन्न कर रहा है।
- मंगलवार को सुबह एलडीए, नगर निगम व सरोजनी नगर तहसील द्वारा संयुक्त पैमाइश की सूचना दी गई।
- कहा गया आप सब खसरा संख्या 12 में है जो तालाब की खसरा संख्या 171 से अलग है।
- जिसका निशान लगवा दिया जाएगा।
- दिलचस्प यह कि नगर निगम व सरोजनी नगर तहसील की टीम तो मौके पर आ गई।
- लेकिन एलडीए टीम दो घंटे देर से आने के बाद बिना पैमाइश किये लौट गई।
- वे बोले, हम ब्याज पर रुपए लेकर निर्माण करवा रहे हैं लेकिन हमें भूमाफिया कहा जा रहा है।
- हमारे खिलाफ तहरीर भी दी गई है।
- उन्होंने आरोप लगाया कि एलडीए मूल आवंटियों को वहां से हटाकर जमीन को किसी बिल्डर को देना चाह रहा है।
क्या कहते हैं अधिकारी
- एलडीए वीसी प्रभु एन. सिंह ने बताया कि मौके पर टीम को भेजा गया था। काम रुकवा दिया गया है।
- एक मानचित्र पर तीन विभाग में सहमति कर सरहद बांध दी जाएगी।
- यही इसमें गलती है। मैं विश्वास दिलाता हूं कि यहां कोई नया एलॉटमेंट नहीं होगा।
- यह मेरा मूल आवंटियों से वादा है लेकिन वहां तालाब की जमीन आ रही है।