लखनऊ: प्रशासन की अनदेखी के चलते तालाबों की भूमि पर भू माफियाओं द्वारा किया जा रहा अवैध कब्ज़ा
- तालाबों के संरक्षण के लिए तहसील में सुप्रीम कोर्ट के आदेश बेमानी
- जिम्मेदार मातहतों के संरक्षण से बीकेटी क्षेत्र के गांवों में खत्म हो रहा तालाबों का अस्तित्व
- न्यायालय में पूर्व में हुए करोड़ों रुपए के जुर्माने एवं बेदखली के आदेश भूमाफियाओं के दबाव में हुए फाइलों में गुम
- भू माफियाओं के दबाव में न्यायालय के द्वारा दिए गए बेदखली जुर्माने के आदेशों को दरकिनार किया जा रहा
लखनऊ: योगी सरकार आते ही भू माफियाओं पर नकेल कसने के लिए
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इंटी टास्क फोर्स का गठन किया था पर जल संरक्षण को लेकर प्रशासन पूरी तरह उदासीन है।
- प्रशासन की उदासीनता का लाभ उठाकर बीकेटी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत मड़ियांव,
- इटौंजा, बीकेटी सहित क्षेत्र के अधिकतर तालाबों की भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है।
- जानकारी होने के बाद इंटी टास्क फोर्स घुटने टेकरही है स्थानीय प्रशासन कोई पहल नहीं कर रहा है।
- प्राचीनकाल से ही जल संरक्षण के लिए गांवों में तालाबों का निर्माण कराया जाता है।
- जल संरक्षण के अलावा ग्रामीणों को तालाबों से और भी कई लाभ होते हैं।
- दूसरी ओर, तालाब शासन के लिए राजस्व अर्जित करने का साधन भी है।
- तालाबों को मछली पालन के लिए पट्टे पर देकर शासन को लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है।
- प्रशासन की अनदेखी के चलते अधिकत तालाबों की भूमि पर अवैध कब्जा करके अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया है।
- सुप्रीम कोर्ट व सरकार तालाबों के संरक्षण को लेकर चाहे जितने गंभीर हों,
लेकिन प्रशासन इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह उदासीन है
- प्रशासन की उदासीनता के चलते अधिकतर तालाबों की भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है।
- नगर हो या गांवों के तालाब, हर जगह एक जैसी स्थिति नजर आती है।
- कुछ तालाबों की भूमि पर तो लोगों ने कब्जा करके मकान तक बना रखे हैं।
- हालांकि शासन तालाबों से अवैध कब्जा हटाने के लिए अभियान चलाता है।
- इसके तहत प्रशासन कुछ तालाबों से अवैध कब्जे हटवाने की कवायद भी करता है,
- लेकिन अभियान समाप्त होते ही पुरानी स्थिति बन जाती है।
- कस्बे में ही कई तालाब ऐसे हैं जिनका अस्तित्व समाप्त हो गया है और वहां मकान बन गए हैं।
- वहीं राजधानी लखनऊ से लेकर प्रदेश के सभी जिलों की तहसीलों में स्थित
- तालाबों पर अवैध कब्जों को हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन में तालाबों की भूमियों पर
- अवैध कब्ज़ों के विरुद्ध भले ही राज्य सरकार मोर्चा रखा है।
- लेकिन इसका असर राजधानी के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं है।
- जबकि राजधानी की सभी तहसीलों में एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन भी हो चुका है
- जो सिर्फ कागजों पर कार्य कर रहा है।वर्षों से तालाब, श्मशान,
- खलिहान व राज्य सरकार में निहित जमीनों पर अपनी कब्जेदारी जमाये लोग बेखौफ होकर अपना कब्जा बरकरार रखे हैं।
उन खेती हो रही है तो कहीं आलीशान इमारतें बन रही हैं
- बख्शी का तालाब तहसील क्षेत्र के अंतर्गत नगर निगम जोन 3 में नगरीय सीमा में आने वाले मड़ियांव गांव में नगर आयुक्त,
- नगर निगम के तहसीलदार व लेखपाल के संरक्षण में समाजवादी पार्टी के पूर्व पार्षद
- एवं मौजूदा पार्षद पति प्रापर्टी डीलर चांद सिद्दीकी द्वारा खसरा संख्या 226 रकबा 0.025 हेक्टेयर पर
- स्थित सैकड़ों वर्ष पुराने तालाब का अस्तित्व खत्म कर उसकी करोड़ो रूपये की भूमि पर अवैध कब्जा कर
- काम्प्लेक्स बनाने के लिए पक्का निर्माण कार्य किया जा रहा था। तो लोगों की शिकायत पर
- तत्कालीन एसडीएम सूर्यकांत त्रिपाठी ने तत्काल निर्माण कार्य को रोक दिया गया था।
- लेकिन उनके तबादले के बाद कुछ राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से
- अब फिर चांद सिद्दीकी द्वारा तालाब की भूमि पर पक्का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
- वहीं मड़ियांव गांव में ही तालाब खसरा संख्या 261 स रकबा 0.643 हेक्टेयर मकान बनाकर बेंच दिया गया।
- व तालाब खसरा संख्या 480 रकबा 0.417 हेक्टेयर पर कुछ हिस्से पर अवैध कब्जा कर प्लाटिंग कर बेंच दिया गया।
- इसी तरह तालाब खसरा संख्या 1372/1287 रकबा 0.0126 हेक्टेयर पर
- अतर सिंह यादव, सौरभ सिंह आदि द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है।
- इसी प्रकार सिर्फ मड़ियांव गांव में छोटे बड़े कुल 26 तालाब हैं।
- जिनपर अधिकांश तालाबों का स्थानीय लेखपाल की खाऊ कमाऊ नीति के चलते भेंट चढ़ चुके हैं।
- इसी क्रम में बीकेटी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत दरियापुर गांव में
एक सौ बीघे जमीन पर भी भूमाफियाओं का अवैध रूप से कब्जा है
- इसी तरह बीकेटी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत अल्दमपुर,
- उसरना गांव के बार्डर पर स्थित जिले की सबसे बड़ी सौतल झील
- जिसका रकबा लगभग 283 बीघा है। इस झील की भूमि पर भी लोगों द्वारा खेती की जा रही है।
- तहसील समाधान दिवसों से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायतें हुई
- लेकिन कार्रवाई के नाम पर जांच अधिकारियों ने सिर्फ अपनी जेबें गर्म की हैं।
- मड़ियांव गांव में ही नाला, बंजर व चकमार्ग की गाटा संख्या-1228,1240,1111,1113 व 1244 स ,1234 व 219 पर असद अहमद द्वारा अवैध निर्माण कार्य कराकर अवैध कब्जा किया गया है।
- जिसपर तहसीलदार बीकेटी के न्यायालय में 18 अक्टूबर वर्ष 2007 में असद अहमद पर 3 करोड़19 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना एवं उक्त भूमि पर से बेदखली के आदेश हुए।
- इसी तरह वर्ष 2007 से अब तक तहसीलदार न्यायालय में जमींदारी भूमि विनाश अधिनियम की धारा(132) से आच्छादित तालाब, खाद गड्ढे, श्मशान, चरागाह आदि जमीनों पर हुए अवैध कब्जों को लेकर हुई
- विभागीय कार्रवाई में तमाम वाद दायर हुए और अवैध कब्जेदारों के खिलाफ
जुर्माना एवं बेदखली के आदेश भी हुए
- लेकिन उक्त मामलों में आज तक तहसील
- एवं जिला प्रशासन द्वारा जुर्माना एवं बेदखली की मात्र कागज़ी खानापूर्ति के अलावा आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई।
- जिससे एक तरफ जहां सरकार को कई करोड़ के राजस्व को चूना लग रहा है।
- तो वहीं दूसरी तरफ प्रशासन द्वारा जुर्माना एवं बेदखली के आदेशों का अनुपालन न कराने से भूमाफियाओं के हौसलें बुलंद हैं और कार्रवाई के बाद भी भूमाफिया उसी ज़मीनों पर लगातार काबिज़ हैं।
- सरकारें आती है और चली जाती है सारे अभियान कागजों में सिमट कर रह जाते हैं।
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