राजधानी लखनऊ में भू-माफियाओं और प्रापर्टी डीलरों का तालाबों और झीलों पर कब्जा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में धरती का भूजल लगातार नीचे जा रहा है। राजधानी का आलम है कि यहां पर दो हजार से अधिक तालाब, झील और रिजर्व वॉयर का अस्तित्व खतरे में है। तालाबों और झीलों के अस्तित्व पर संकट का असर मानव जीवन के साथ ही पशुओं पर भी पड़ रहा है। पशुओं को पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है वहीं खेतों में सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। पहले तालाबों और झीलों में पंप से पानी लगाया जाता था लेकिन अब खत्म हो चुके तालाबों में एक बूंद पानी नही है।
चार सौ हेक्टयर से अधिक भूमि पर अवैध कब्जा
तालाबों और झीलों की करीब-करीब चार सौ हेक्टयर से अधिक भूमि पर अवैध कब्जा है। कब्जों से भूजल के साथ-साथ सिंचाई की समस्या भी बढ़ती जा रही है। लगातार शहरीकरण से ग्रामीण इलाकों की जमीनें भी सोना हो रही हैं। तेजी के साथ हो रहे अनियोजित विकास से ग्रामीण इलाकों में जमीनों की खरीद-फरोख्त का ग्राफ तेजी के साथ बढ़ा है। यही वजह है कि तमाम रियल स्टेट कंपनियां और प्रापर्टी डीलर ग्रामीण इलाकों में अधिक से अधिक जमीनों पर काबिज हो रहे हैं। इन्होंने तालाब और दूसरे जल श्रोतों की भूमि पर भी अवैध तरीके से कब्जा कर लिया है। उनके रसूख के चलते प्रशासन भी मौन है।
300 बीघे में फैली शौतल झील के अस्तित्व पर भी खतरा
बख्शी का तालाब तहसील क्षेत्र में भी कई तालाब और झीलों का अस्तित्व खतरे में है। करीब तीन सौ बीघे में फैली शौतल झील के अस्तित्व पर भी खतरा मड़रा रहा है। झील के अधिकांश भाग पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है। यहां पर तमाम लोगों ने कब्जा करके खेती शुरू कर दी है। तमाम बार प्रशासन यहां से कब्जे हटाने का प्रयास कर चुका है लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। तहसील क्षेत्र में तालाब पोखर और झील मिलाकर संख्या वर्तमान में 2114 है। क्षेत्रफल 847.778 हेक्टेयर है। यहां पर 626 स्थानों पर अवैध कब्जे चिह्न्ति किए गये थे। जिसमें से 570 स्थानों से 45.743 हेक्टेयर क्षेत्रफल से अवैध कब्जे हटाए गए हैं। वहीं भैंसामऊ गाजीपुर में खसरा संख्या 456 पर स्थित मेहंदू तालाब करीब साढ़े चार बीघा क्षेत्रफल में दर्ज है लेकिन मौके पर डेढ़ बीघे के आसपास ही बचा है।
मोहनलालगंज में करेला झील पर दबंग करा रहे खेती
मोहनलालगंज के हुलासखेड़ा में उत्खनन स्थल के चारों तरफ स्थित करेला झील की ज़मीन पर दबंगों का कब्जा है। लोग झील पर कब्जा करके खेती करा रहे हैं। करेला झील करीब 80 बीघे से अधिक में फैली हुई है। वहीं सेमरपीतपुर, सिरौना, खुजहेटा, उतरावां, मीराखनगर में तालाब की जमीनों पर कब्जा हो गया है।
सरोजनीनगर में तालाब पर बना रहा रिजॉर्ट
सरोजनीनगर तहसील में भी तालाबों की जमीनों पर खूब कब्जे हैं। अहमामऊ गांव में ही गाटा संख्या 715 पर अवैध कब्जे की रिपोर्ट भी दर्ज कराई जा चुकी है, इसके बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि यहां पर तालाब की जमीन पर कब्जा कर रिजॉर्ट बनाया जा रहा है। वहीं खुशहालगंज गांव में भी दो तालाबों पर अवैध कब्जे के मामलों में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।