यूपी का फतेहपुर जनपद बालू के अवैध खनन को लेकर फिर एक बार सुर्खियों में है। अवैध बालू खनन (illegal sand mining) के मामले को लेकर हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई की टीम ने दस्तवेजो को खंगालने के साथ स्थलीय जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
खनन मामले में शासन हुआ सख्त
बता दे कि फ़तेहपुर जिले में सपा शासनकाल में 2015-16 में भारी पैमाने पर अवैध बालू खनन हुआ था। जिसमे तत्कालीन अखिलेश सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए, इलाहाबाद के कमिश्नर व फ़तेहपुर के डीएम रहे राकेश कुमार समेत खनन अधिकारी को निलंबित कर दिया था। पिछले कई दिनों से गुपचुप तरीके से जांच पड़ताल करने में जुटी सीबीआई टीम की भनक खनन माफियाओ को तब लगी, जब टीम ने आढावाल ओती गुरवल रानीपुर समेत दर्जनों बालू घाटो में पहुंच कर वीडियो रिकार्डिंग के साथ ही स्थलीय निरीक्षण और स्थानीय लोगों के गुपचुप बयान दर्ज करने शुरू कर दिए।
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कई अधिकारियों पर गिर सकती हैं गाज
बालू खनन से जुड़े बांदा चित्रकूट फ़तेहपुर समेत प्रदेश के कई खनन माफिया और उसके सिंडिकेट में शामिल है।
जो सीबीआई के रडार पर हैं। जिनसे सीबीआई की टीम बकायदे पूछताछ कर सकती है।
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मिली जानकारी के मुताबिक सबसे खास बात तो यह है कि बीजेपी सरकार में अभी हाल में हुई।
एरई बालू खनन भी सीबीआई की सूची में शामिल है।
खागा एसडीएम अमित भट्ट ,डिप्टी एसपी धाता एसओ खनन अधिकारी अजय कुमार यादव
सहित कानून गो लेखपाल को निलंबित किया जा चुका है।
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जिले के डीएम कुमार प्रशान्त एसपी श्रीपर्णा गांगुली के खिलाफ कोई भी कार्रवाई शासन स्तर से न होने से बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। मामले में अब सीबीआई का जिन्न बाहर आ जाने से जिले की नौकरशाही एक बार फिर सकते में है। जिला प्रशासन के जिम्मेदार जहाँ सीबीआई की जांच के हर पहलू पर नजर टिकाये है। वही सीबीआई टीम के डिप्टी एसपी केपी शर्मा ने जिम्मेदार अफसरों से लेकर मीडिया तक से दूरी बना रखी है। सूत्रों की माने तो सीबीआई टीम जिले डीएम कुमार प्रशान्त एव एसपी श्रीपर्णा गांगुली से एरई बालू खनन के मामले में भी पूछताछ कर सकती है।