सुल्तानपुर: जिला अस्पताल के हर हिस्से में दलालों की मनमानी, दवा के नाम पर मरीजों को ठगने का चल रहा है खेल
जिला अस्पताल के हर हिस्से मे दलालों के किस्से
- इंजेक्शन व दवा के नाम पर मरीजों को ठगने का चल रहा हैं खेल, मुखिया से लेकर संविदा डाक्टर तक चला रहें निजी नर्सिंग होम या फिर अपनी क्लिनिक, मरीजों को इंसाफ मिलना हुआ मुश्किल
- सुलतानपुर एक आंकड़े के मुताबिक जिला अस्पताल मे प्रतिदिन हजारों की तादात मे वो मरीज आते हैं ।
- जो आर्थिक रूप से इतने कमजोर होतें हैं कि उनके लिए प्राईवेट डाक्टर से इलाज कराना नामुम्किन होता हैं ।
- ऐसे मरीजों के जेहन मे बस एक ख्याल होता हैं ।कि प्रदेश सरकार ने हम गरीबों के लिए सरकारी अस्पताल मे भी वो सारी व्यवस्था कर रखी हैं ।
- जहाँ बगैर पैसा नि:शुल्क इलाज होगा और यही सोच उन बेचारों को जिला अस्पताल इलाज करवाने के लिए खींच लाती हैं
- उन्हे क्या पता कि यहाँ , वेदान्ता व लीलावती स्टाईल मे इलाज के स्पेशलिस्ट बैठे हैं ।,,ये तो बस नाम का सरकारी हैं ।
बाकी काम सब बाहर से जारी हैं ,,।काश यहाँ के इलाज की पद्दति प्रदेश के मुखिया ,,योगी जी ,,भी एक बार देखते तो शायद सीएम साहब भी सोचने को मजबूर हो जाते और यही कहते कि ,प्रदेश सरकार ने गरीबों को ध्यान मे रखकर जितनी स्वास्थ्य संबंधी नि:शुल्क योजनाएं बनाई हैं ।
- उसका इतना भयावह चेहरा ,,और शायद तत्काल जिला अस्पताल की बेहतरीन ढंग से ,,ओवरहालिंग,,हो जाती ।
आज जब मरीज जिला अस्पताल की दहलीज पर कदम रखता हैं ।तो उसे इस बात का इल्म नही होता की उसकी जिला अस्पताल मे ,,आमद उसकी शामत ,,मे तब्दील हो जाएंगी ।क्योंकि यहाँ हर कोने मे दलालों की गिद्धदृष्टि आनेवाले मरीजों का ,इस्तेकबाल नही बल्कि खाल नोचने के लिए बेदर्दी से इतेंजार कर रहीं हैं ।
- समझनेवाला पहलु ये हैं कि किसी घर मे कोई तभी प्रवेश कर सकता हैं ।जब घर के मालिक की सहमति होगीं ।वर्ना मजाल क्या कि कोई किसी के घर मे जबरदस्ती से घुस जाय ।कुछ इसी तरह से जिला अस्पताल मे चल रहा हैं ।
आज जिला अस्पताल मे सिर्फ दो से तीन ऐसे डाक्टर होंगे जो केवल अस्पताल और यहाँ आनेवाले मरीजों के उपचार को बडी जिम्मेदारी के साथ निभाने का काम कर रहें हैं ।बाकी के सारे डाक्टर अपना निजी नर्सिंग होम ,या क्लिनिक या फिर अपनी सेवाएं दूसरे डाक्टरो के प्राइवेट अस्पताल मे दे रहें हैं ।
जबकि सरकार से वेतन के रूप मे लाखो रूपए प्रतिमाह ले रहें हैं
- बावजूद इसके इनका पेट खाली हैं ।
- अस्पताल बहुत मुशकिल दौर से गुजर रहा हैं ।
- दिन के सुबह 8 बजे से ओपीडी ,ओटी और 24 घंटे इमरजेंसी ,इन जगहों पर दर्जनों ऐसे चेहरे दिखाई पड़ते हैं ,जो खुद को डाक्टरो का ,दाहिना,समझते हैं और ज्यादातर मरीजों को पहला संवाद उन्हीं से करना पड़ता हैं ।
- उन्हीं दलालों के हांथों ओपीडी का मरीज इंट्री रजिस्टर भरने का काम किया जाता हैं ।और उन्हीं के द्वारा बाहर की दवाईयां लिखीं जातीं हैं ।लेकिन इसे भ्रष्टाचार नही ,शिष्टाचार की श्रेणी मे समझा जाता हैं ।
- अब जरूरत हैं, उन डाक्टरो को बाहर का रास्ता दिखाने का जो यहाँ लंबे समय से जमे हैं और अकूत संपत्ति अर्जित कर नर्सिंग होम ,निजी आवास बनाकर रह रहें हैं ।
- तभी सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाईं जा रही स्वास्थ्य सबंधित योजनाओं का लाभ उन्हे आसानी से मिल पाएंगा और जिला अस्पताल ,राहूकाल,से मंगल दिशा की तरफ गतिमान् होगा ।
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