बदलते मौसम के साथ ही बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. वही बारिश का मौसम रोगों के लिए सबसे ज्यादा मुफीद माना जाता है.बीते कई सालों से इस मौसम में डेंगू और स्वाइन फ्लू का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही हर साल सैकड़ों लोगों की मौत भी हो जाती है.अब तक उत्तर प्रदेश में ही एक हज़ार से ज्यादा मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है.
2009 में हुई थी वायरस की खोज
- लोगों की जानें बचाने के लिए वायरस के संक्रमण के प्रसार पर रोकथाम जरुरी है.
- स्वाइन फ्लू के नाम से जाना जाने वाला इन्फ्लुएन्जा विशेष प्रकार के वायरस इन्फ्लुएन्जा ए एच1 एन1 से फैल रहा है.
- यह विषाणु सुअर में पाये जाने वाले कई प्रकार के विषाणुओं में से एक है.
- मार्च 2009 में दक्षिण अमेरिका में इस नये वायरस की खोज हुई.
- फिलहाल जीनीय परिवर्तन होने के कारण यह विषाणु बेहद घातक और संक्रामक बन गया था.
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ऐतिहासिक प्रष्ठभूमि
- बीसवीं सदी में फ्लू की महामारी क्रमशः तीन बार 1918, 1957 और 1969 में अपने भयावह रूप में सामने आयी थी.
- 1918 की फ्लू महामारी में विषाणु का स्त्रोत सुअर थे इस फ्लू को स्पेनिश फ्लू के नाम से जाना जाता है.
- यह महामारी इतनी मृत्युघाती और मारक थी कि इसने दुनियाभर में पांच करोड़ से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
- दूसरी और तीसरी महामारी जिन्हें क्रमशः एशियन फ्लू ओर हांगकांग फ्लू के नाम से जाना जाता है.
- इन विषाणुओं के स्त्रोत पक्षी थे इन दोनेां महामारियो के अनुसार क्रमशः 70 हजार और 34 हजार लोगों की मौत हुई.
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स्वाइन फ्लू के लक्षण
- एच1 एन1 फ्लू विषाणु के संक्रमण में कई तरह के लक्षण देखने को मिल सकते हैं.
- इन लक्षणों में बुखार,खाँसी, गले में तकलीफ, शरीर दर्द, सिर दर्द, कंपकपी और कमजोरी प्रमुख हैं.
- कुछ लोगों में दस्त और उल्टियाँ भी देखने को मिल सकती हैं.
- सर्दी-जुकाम, इन्फ्लुएंजा (फ्लू) और स्वाइन फ्लू ये तीनों आपस में एक जैसे लगते हुए भी अलग-अलग हैं.
- साधारण सर्दी-जुकाम और मौसमी फ्लू के लक्षण अलग-अलग होते है.
- यह सभी लक्षण बीमारी प्रारम्भ होने के एक या दो दिन के अन्दर ही तेजी से पनपते हैं.
- कुछ रोगियों में बीमारी इसी अवस्था में सीमित होकर धीरे-धीरे कम हो जाती है.
- लेकिन कुछ मरीजों में यह बीमारी जटिल रूप धारण कर लेती है.
- इसमें से कुछ रोगियों को सांस की तकलीफ बढ़ने लगती है.
- खांसी में बलगम व खून भी आ सकता है .
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कैसे फैलता है स्वाइन फ्लू?
- स्वाइन फ्लू का संक्रमण व्यक्ति को स्वाइन फ्लू के रोगी के सम्पर्क में आने पर होता है.
- प्रभावित व्यक्ति के स्पर्श, छींक, खाँसने या उसकी वस्तुओं के सम्पर्क में आने से होता है.
- स्वाइन फ्लू के विषाणु दूसरे व्यक्ति के श्वसन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं.
- अधिकतर लोगों में यह संक्रमण बीमारी का रूप नहीं ले पाता.
- या कई बार सर्दी, जुकाम, गले में खराश तक ही सीमित रहता है.
- जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जैसे बच्चे, बूढ़े, गर्भवती महिलाएँ इस संक्रमण की चपेट में जल्दी आती हैं.
- इन लोगो में संक्रमण के कारण मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से अधिक होती है.