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इलाहाबाद हाईकोर्ट में बना देश का पहला सूचना तकनीकी केंद्र

उत्तर प्रदेश के शहर इलाहाबाद के हाईकोर्ट को भारत का पहला डिजीटल कोर्ट बनाने के लिए वहां सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र खोला जा रहा है। आधुनिक सूचनाओं से लेस इस केंद्र का उद्घाटन भारत के माननीय न्यायमूर्ति श्री तीरथ सिंह ठाकुर के द्वारा 11 मार्च को शाम 6 बजकर 30 मिनट पर किया जायेगा। इस उद्घाटन समारोह में सुप्रीम कोर्ट और अन्‍य उच्‍च न्‍यायालयों के तमाम वरिष्‍ट न्यायधीश भी शिरकत करेंगे।

न्याय की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 20,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बनाये गये इस भवन में एक बेसमेंट और दो मंजिलें हैं। यह भवन पिछलें दस सालों से बेहद खस्ती हालत में था जिसकी वजह से इसमें पांच फुट तक पानी भर जाता था। इसको सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र बनाने के लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने एक दूसरे को सहयोग दिया और विशेषज्ञ टीमों की मदद से इसे साफ करवाया गया है । यह सुनिश्चित किया गया कि सफाई के बाद बाढ़ का पानी भवन के अन्दर जमा ना हो सकें। इसका निर्माण कार्य एक बार शुरू होने के बाद फिर नहीं रोका गया। दोनो सरकारों के सयुक्त प्रयासों की वजह से ही आज यह इमारत आधुनिक सुविधाओं से लेस बेहद प्रभावशाली इमारत के रूप में खड़ी है।
इस सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र में तमाम ऐसी सुविधायें होंगी जिसकी वजह से न्याय की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। इसके तहखानें में 30 लाख फाइलों को स्टोर करने की क्षमता है। इस भवन के अन्दर एक डाटा सेंटर, वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग हॉल, लाउंज, दो न्यायायिक अधिकारियो  के लिए ऐसे केबिन है जहां ई-न्यायालय परियोजना के अर्न्‍तगत काम हो। इसके अलावा स्‍टाफ के लिए नेट की सुविधाओं से युक्‍त केबिन की व्‍यवस्‍था भी इस भवन में की जायेगी।

इस भवन के सहारे एक साल में उच्च न्यायालय के लगभग एक करोड़ केसों की फाइलों को डिजीटल किया जायेगा। फाइलों को डिजीटल करने की यह अवधारणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ धनंजय चंद्रचूड़ यशवंत की थी। हाइकोर्ट में तमाम केसों से जुड़ी फाइलें इतनी अधिक होती हैं जिसकी वजह से सही फाइल का पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब जब फाइलों को डिजिटल किया जायेगा तो सही फाइल का पता लगाना काफी आसान हो जायेगा।
राज्य सरकार ने इस इमारत को इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सटाकर बनाया है जहां एक रास्ता इसको सीधे उच्‍च न्‍यायालय से जोड़ता है। इमारत में वीआरवी एयर कंडीशनिंग सिस्टम,  बायोमेट्रिक कार्ड आधारित सुरक्षा प्रणाली से युक्‍त सीसीटीवी कैमरें और अग्निशमन उपकरणों लगाने का काम लगभग पूरा हो चुका है।

इस भवन का निर्माण न्‍यायिक प्रकिया में तेजी लाने और न्‍याययिक जांच को पारदर्शी बनाने के लिए किया गया है। ऐसी उम्‍मीद लगायी जा सकती है कि इस भवन में प्राप्‍त होने वाली सुविधाओं के सहारे प्रदेश के वकील और जज अपने कार्य में तेजी लाने का प्‍यास करेंगे।

 

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