हमारे देश में डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया गया है, लेकिन अपनी लापरवाही और संवेदनहीनता के चलते वे अपना दर्जा खोते जा रहे हैं। मोहनगंज थाना क्षेत्र के गांव की मामूली विवाद के चलते लाठियां चटक गई। जिसमे एक अधेड़ महिला गम्भीर रूप से घायल हो गई और इलाज के लिए तिलोई सीएचसी आई थी।
दरअसल ये मामला अमेठी जिले के थाना मोहनगंज क्षेत्र अंर्तगत गाँव रास्तामऊ का है। जहाँ 14 जून की शाम दो पक्षो मे बकरी के विवाद को लेकर लाठियां चटक गई। जिसमे एक पक्ष से एक अधेड़ महिला सहित करीब चार लोग घायल हो गये। जिसके बाद थाना मोहनगंज में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद घायलों को तिलोई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भेजा गया।
जहाँ सिर पर चोट लगने के कारण गम्भीर रुप घायल एक अधेड़ महिला सीतापति (55) पत्नी रामफेर को भी परिवारजनों व ग्रामीणों की मदद से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तिलोई लाया गया। लेकिन सीएचसी तिलोई पहुचने पर अस्पताल की अव्यवस्था और संवेदनहींनता के कारण अधेड़ महिला बाहर फर्श पर घण्टो तड़पती रही। जब लोगो ने इसकी शिकायत सीएमओ अमेठी डा. राजेश मोहन श्रीवास्तव से किया तो आरोप है कि चिकित्सको के अनुपस्थित रहने के कारण आनन-फानन में एक वार्ड ब्वाय राजेश वर्मा के द्वारा घायल महिला का इलाज प्रारंभ हुआ।
मोमबत्ती के प्रकाश में हुआ घायल महिला का इलाज
तीमारदारो ने आरोप लगाया कि अचानक बिजली चली जाने के कारण घायल महिला सीतापति की मरहम-पट्टी मोमबत्ती के प्रकाश में की गई। जब तीमारदारो ने जनरेटर चलाने की कही तो एक कर्मी ने बताया कि जनरेटर में तेल नहीं है। फिलहाल गम्भीर रूप घायल अधेड़ महिला को उचित चिकित्सा हेतु जिला चिकित्सालय रायबरेली रेफर किया गया है। जहाँ महिला हालत अभी भी चिन्ताजनक बनी हुई है।
सरकारी सिस्टम पर उठ रहा सवाल
मामला चाहे जो भी हो लेकिन कहते है कि मरीजों के लिए डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते हैं। लेकिन गुरुवार को तिलोई सीएचसी गेट के बाहर डॉक्टर और कर्मियों का जो निष्ठुर चेहरा देखने को मिला उसे देख हर किसी की रूह कांप उठी है और सरकारी सिस्टम पर कई
तरह के सवाल भी खड़े हो रहे है।