इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने केंद्र सरकार के वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आरा मशीनों के लिए जारी गाइडलाइन के कुछ हिस्सों पर अंतरिम रोक लगा दी है। 11 सितंबर 2017 को जारी इस गाइड लाइन में 30 सेंटीमीटर व्यास की आरा मशीन बिना लाइसेंस की चलाने की छूट दी गई थी। वहीं 60 सेंटीमीटर तक की मशीनों के लिए राज्य स्तरीय समिति से अनुमति ली जा सकती थी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका दायर करने वाले एसोसिएशन फॉर कॉमन पीपल के आकाश श्रीवास्तव ने बताया कि यूपी में 5% से भी कम जंगल रह गए हैं जबकि उन्हें 33% होना चाहिए।
इन हालात को सुधारने के लिए खुद सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश के जिन हिस्सों में 24% से कम जंगल बचे हैं वहां राज्य सरकारें बिना लाइसेंस आरा मशीनें लगाने पर रोक लगाएं। इसके बाद प्रदेश में भी रोक लगाई गई थी। लेकिन अवैध आरा मशीनें बंद होने पर लकड़ी के क्षेत्र में काम कर रहे उद्यमियों और कारोबारियों ने विरोध किया। इस पर केंद्र सरकार ने कुछ आरा मशीनों के लिए लाइसेंस सिस्टम ही खत्म कर दिया। ऐसे में कोई व्यक्ति अगर जंगल की अधिकता वाले राज्यों में 30 लाख या 50 लाख रुपए खर्च करके आरा मशीन लगाएगा तो वह अनियंत्रित ढंग से पेड़ के कटने को बढ़ावा देगा।
केंद्र और प्रदेश सरकार ने समय मांगा
चीफ जस्टिस दिलीप बाबासाहेब भोसले और जस्टिस विवेक चौधरी केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय और प्रदेश सरकार की ओर से एडिशनल चीफ स्टैंडिंग काउंसलिंग क्यूएच रिजवी उपस्थित थे। याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार ने समय मांगा हाई कोर्ट में अगली सुनवाई 7 फरवरी को रखते हुए मोहलत दे दी। साथ ही निर्देश दिए कि अंतिम रूप से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 2017 में जारी गाइडलाइन के प्रावधानों को लागू न किया जाये।
ये है पर्यावरण व वन मंत्रालय की गाइडलाइन
कुछ उद्योग और प्रोसेसिंग प्लांट जो घरेलू प्रजाति के पेड़ों की लकड़ी के लट्ठे नहीं काटते और जो 30 सेंटीमीटर व्यास से कम आकार के बैंड-सॉ (सॉ आरी), री सॉ या सर्कुलर सॉ का उपयोग करते हैं, उन्हें लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। यह छूट के बबूल, चीरी हुई लकड़ी, प्लाईवुड, वीनार्स, आयतित लकड़ी और वैधता और पर प्राप्त की गई लकड़ी का काम कर रहे प्लांटस व उद्योगों के लिए भी थी। साथ ही ब्लॉक बोर्ड, एमडीएफ और इसी तरह के लकड़ी आधारित उत्पाद बनाने वाली एग्रो फोरेस्ट्री, कृषि उत्पाद के दायरे में आने वाली प्रजातियों के पेड़ों से प्राप्त लकड़ी के लट्ठों को काटने में जुटे उद्योगों को भी छूट दी गई थी।
बड़ी आरा मशीन पर राज्य सरकार दे सकती थी छूट
मंत्रालय ने राज्य स्त्री समितियों को यह छूट भी दी थी कि अगर वह चाहे तो 60 सेंटीमीटर व्यास तक की सर्कुलर आरा मशीन का उपयोग उद्योगों की जरूरत के अनुसार लगाने की अनुमति दे सकते हैं। हालांकि अनुमति के लिए इन उद्योगों का राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के वन विभाग में पंजीकृत होना जरूरी था।
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Web Title : Interim bans on discontinuity of running a licensed saw machine
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