सीतापुर में आदमखोर जानवरों के बच्चों पर हमला करने की घटनाओं के बाद जिले में आम कुत्तों पर लोगों का कहर बरस रहा हैं. हमला करने वाले जानवर की पहचान कुत्ते के रूप में करने को लेकर क्षेत्र के लोग और अधिकारियों ने सड़क के कई कुत्तों मार दिया. जिसके बाद कई मरे हुए कुत्तों का पोस्टमार्टम करवाने और जाँच की मांग उठी.
मारे गये कुत्ते नहीं थे आदमखोर:
इसी कड़ी में सीतापुर की जिला अधिकारी शीतल वर्मा की एक प्रेस विज्ञप्ति जारी हुई हैं. इस के अनुसार सीतापुर जिला अधिकारी ने कही भी कुत्तों को हमला करने वाला जानवर नहीं कहा.
उनके अनुसार इंडियन वैटनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट ने सीतापुर के मरे हुए कुत्तों की जाँच की और इस जाँच से पाया गया कि ये मरे हुए कुत्ते पालतू थे.
प्रशासन कुत्ता कहता रहा मगर निकला भेड़िया जैसी नस्ल का जानवर
उन्होंने इंडियन वैटनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट की लैबोट्री रिपोर्ट का परिणाम भी बताया, जिसके मुताबिक़ मृत जानवरों की प्रजातियों का जीनोमिक विश्लेष्ण करने से यह पता चला कि मृत कुत्तों की प्रजाति घेरेलु कुत्तों से मेल खाती हैं.
हालाँकि मीडिया में सीतापुर में हो रहे हमले को लेकर कुत्तों पर खबर आ रही हैं जिसके पीछे का कारण सीतापुर की डीएम का मौखिक संबोधन रहा.
कुत्तों की मौत का कारण गहरी चोट और रक्त स्राव:
कुत्तों की मौत का क्या कारण है, इस सवाल के जवाब में भारतीय पशु चिक्तिसा और अनुसन्धान केंद्र (IVRI) ने बताया कि कुत्तों को आंतरिक रक्तस्राव और अंग टूटने से हुए भयानक दर्द की वजह से मौत हुई.
इसके अलावा जाँच रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि नहीं हुई कि मरे हुए कुत्ते ही वे हत्यारें कुत्ते थे जिन्होंने बच्चों पर हमला किया.
इस लिहाज से आम कुत्ते जो मारे गये या अन्य, कैसे आदमखोर कुत्ते हो सकते है, जबकि डीएम कर्य्य्ली से इस बात की पुष्टि हुई ही नहीं कि किसी कुत्ते को मारा गया हैं.
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वहीं दूसरी ओर आदमखोर जानवरों के हमले कम नहीं हो रहे हैं. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हमला करने वालें जानवरों की संख्या उतनी ही हैं जितनी पहले थी. इससे यह स्पष्ट है कि प्रशासन ने अभी तक इन आदमखोर जानवरों पर लगाम लगाने में असक्षम है. लेकिन क्षेत्र के कुत्ते जरुर बलि का बकरा बन गये.
सीतापुर में आम सड़क के कुत्तों की संख्या कम होती जा रही है. इससे यह भी स्पष्ट है कि अधिकारियों की कार्रवाई गलत दिशा में हैं.