उत्तर प्रदेश जल निगम की 1300 भर्तियों में धांधली के मामले में सोमवार को आजम खां एसआईटी के सामने पेश हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार कुछ करे या ना करे, कम से कम चोरों की फेहरिस्त में मेरा नाम तो आ गया। इतना तो सरकार अपमानित कर चुकी है, इससे ज्यादा अपमान क्या करेंगे।
बता दें कि सपा सरकार में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जल निगम प्रबंधन द्वारा आनन-फानन में एई, जेई, आशुलिपिक व नैतिक लिपिक के कुल 1300 पदों पर भर्तियां की गई थीं। कुछ अभ्यर्थियों ने भर्तियों में धांधली को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर निगम के ही अधीक्षण अभियंता स्तर के एक अधिकारी से जांच कराई गई थी, जिसमें भर्ती प्रक्रिया में धाधंली की पुष्टि हुई थी। इसके बाद नई सरकार ने भी इस मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी थी।
एसआईटी ने पूर्व नगर विकास सचिव एसपी सिंह और ओएसडी आफाक से पूछताछ के बाद 16 जनवरी को नोटिस जारी कर आजम खां को 22 जनवरी को एसआईटी के समक्ष हाजिर होने के लिए कहा था। सूत्रों के मुताबिक आज आजम खां और पूर्व नगर विकास सचिव एसपी सिंह को आमने-सामने बैठकार पूछताछ की जाएगी। एसआईटी के सामने पूछताछ के बाद बाहर आते हुए आजम खान ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए गंभीर आरोप लगाए।
इन पदों पर निकाली गईं थीं भर्तियां
समाजवादी सरकार में उत्तर प्रदेश जल निगम में रिक्त अभियंताओं और लिपिक के पदों पर भर्तियां की गई थीं। शासन स्तर पर दी गई व्यवस्था के अनुसार जल निगम में होने वाली भर्तियों का अधिकार चेयरमैन के पास है। पिछली सरकार ने जल निगम में सहायक अभियंता के 122, अवर अभियंता के 853 और नैत्यिक लिपिक के 325 पदों पर विज्ञापन निकालते हुए भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई। भर्तियों में मनमानी और चहेतों को नियुक्ति देने के आरोप लगे।
कर्मचारी संघों ने इसका जमकर विरोध किया। यहां तक सहायक अभियंताओं की भर्ती का मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। याची ने आरोप लगाया कि भर्ती के लिए 80 अंक लिखित व 20 अंक साक्षात्कार के रखे गए। चयन सूची के आधार पर फरवरी 2017 में नियुक्ति पत्र जारी किया गया, लेकिन उत्तरकुंजी व उत्तर पुस्तिका को आनलाइन नहीं किया गया। इसे ऑनलाइन किए जाने की मांग भी उस समय अनदेखी कर दी गई थी।
एसपी सिंह को आजम खां के खास अफसरों में शुमार किया जाता था। उनके सचिव बनने के बाद नगर विकास विभाग में चार साल तक किसी को प्रमुख सचिव नहीं बनाया गया। एसपी सिंह के 2014 में रिटायर होने के बाद भी उन्हें सेवा विस्तार देकर सचिव की कुर्सी पर काबिज रखा गया। जल निगम में भर्तियां भी उनके ही कार्यकाल में हुई थी।