एक समय पर समाजवादी पार्टी में सभी वरिष्ठ नेताओं को झुककर अभिवादन करने वाले युवा अखिलेश यादव में अचानक इतना परिवर्तन कैसे आ गया कि वह अपने पिता मुलायम सिंह यादव को किनारे कर खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये ? इसके अलावा चाचा शिवपाल सिंह यादव से भी सारे उनके अधिकार छीन लिये ? वेटरन पत्रकार प्रिया सहगल ने अपनी नई पुस्तक The Contenders में इसका जिक्र किया है। इस खुलासे के बाद नयी चर्चाएँ शुरू हो गयी हैं।

जनेश्वर मिश्र से प्रभावित हैं अखिलेश यादव :

मशहूर पत्रकार प्रिया सहगल की किताब में कहा गया है कि 2007 के विधानसभा चुनाव में शिकस्त के बाद मुलायम सिंह यादव के आवास पर हार के कारणों पर चर्चा हो रही थी। इस बैठक में अमर सिंह, जया बच्चन, रामगोपाल यादव समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। दिग्गज नेताओं के सामने अमर सिंह ने कहते हुए अखिलेश यादव का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया कि नये दौर की राजनीति को नये उम्र के नेता की जरूरत है। नई पीढ़ी को वह बेहतर ढंग से समझा पाएंगे।

बैठक में ज्यादातर नेताओं ने अमर सिंह के प्रस्ताव पर सहमति जताई। इस पर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जनेश्वर मिश्र से बात करने के बाद कुछ कहेंगे। इस पर जनेश्वर मिश्र ने अखिलेश का समर्थन किया।

अखिलेश यादव को दी सलाह :

मुलायम के सपा अध्यक्ष रहने के दौरान अखिलेश यादव मंच पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे। इस किताब में बताया गया कि उन्हें जनेश्वर मिश्र ने ऐसा न करने की सलाह दी थी। जनेश्वर मिश्र ने कहा कि सम्मान करते रहोगे तो पार्टी में अनुशासन कैसे लाओगे ? इसके बाद से अखिलेश यादव ने खुद को जनेश्वर मिश्र के अनुसार ढालना शुरू किया। 10 साल बाद अखिलेश यादव खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गये और मुलायम को सपा का राष्ट्रीय संरक्षक बनाकर खुद को किनारे कर लिया गया।

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