गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास (बीआरडी) अस्पताल में (Japanese encephalitis) ऑक्सीजन की कमी से पिछले दिनों 35 बच्चों सहित करीब 60 लोगों की मौत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। भले ही गोरखपुर में पिछले कई सालों में अब तक हजारों मौतें हो चुकी हों लेकिन सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।
- आजादी के बाद से अब तक कई सरकारें बदलीं, लेकिन पूर्वांचल में मौतों का सिलसिला लगातार जारी है।
- आलम यह है कि सरकारों के ढुलमुल रवैये के चलते गोरखपुर क्षेत्र में नरसंहार हो रहा है और जिम्मेदार आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हैं।
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चार दशकों में हो चुकी करीब 25 हजार मौतें
- आंकड़ों के मुताबिक, अगर बात वर्ष 1978 से अब तक करीब 39,100 इंसेफेलाइटिस के मरीज भर्ती हुए। इनमें 9,286 बच्चों की मौत हो गई।
- आंकड़ों के अनुसार पिछले चार दशकों में करीब 25 हजार मौतें उत्तर प्रदेश की सरकारों के मुंह पर तमाचा साबित हो रहा है।
- विपक्षी सवाल कर रहे हैं कि यहां की सरकारों ने पूर्वांचल के लिए क्या किया?
- लोगों की जुबान पर एक ही सवाल है कि मासूमों की मौतों के बाद नेता अपने बयानों से अपनी नेतागिरी चमकाते हैं।
- इससे अधिक और कुछ नहीं कर पाते।
- मामला ठंडा पड़ते ही सभी जिम्मेदार फिर चुपचाप बैठ जाते हैं।
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आंकड़े देखकर हो जायेंगे हैरान
- पूर्वांचल में मौतों के आंकड़े देखकर आप की आंखे खुली की खुली रह जाएंगी।
- आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2005 में 3532 मरीज भर्ती हुए 937 की मौत हो गई।
- वर्ष 2006 में 940 मरीज भर्ती हुए 431 की मौत हो गई।
- वर्ष 2007 में 2423 मरीज भर्ती हुए 516 की मौत हो गई।
- वर्ष 2008 में 2194 मरीज भर्ती हुए 458 की मौत हो गई।
- वर्ष 2009 में 2663 मरीज भर्ती हुए 525 की मौत हो गई।
- वर्ष 2010 में 3303 मरीज भर्ती हुए 514 की मौत हो गई।
- वर्ष 2011 में 3308 मरीज भर्ती हुए 627 की मौत हो गई।
- वर्ष 2012 में 2517 मरीज भर्ती हुए 527 की मौत हो गई।
- वर्ष 2013 में 2110 मरीज भर्ती हुए 619 की मौत हो गई।
- वर्ष 2014 में 2923 मरीज भर्ती हुए 587 की मौत हो गई।
- वर्ष 2015 में रोजाना 3113 मरीज भर्ती हुए 668 मौते हुईं।
- वर्ष 2016 में 2235 मरीज भर्ती हुए 587 मौतें हुईं।
- वर्ष 2017 में करीब 2500 मरीज भर्ती हुए इनमें अगस्त माह में ही 60 लोगों की मौत हो गई।
- सीएम योगी ने भी प्रेसवार्ता के दौरान बताया कि यहां रोजाना 22 मौतों का आंकड़ा है।
- आंकड़ों के (Japanese encephalitis) अनुसार वर्ष 1978 से लेकर अब तक 25 हजार मौतें हो चुकी हैं।
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इंसेफेलाइटिस से बच्चों की गई जाने
- पूर्वांचल में सबसे अधिक बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस से हुई हैंइंसेफेलाइटिस बीआरडी कॉलेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी और असिस्टेंट हेड ऑफ डिपार्टमेंट डॉ. काफिल अहमद ने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस एक तरह से यहां पर महामारी का रूप ले चुका है।
- हर साल हजारों बच्चों की जान ले रहा है, लेकिन इस बीमारी की रोकथाम के लिए कोई उचित उपाय नहीं किये जा रहे हैं।
- उन्होंने बताया कि मच्छर के काटने और दूषित पानी से यह बीमारी तेजी से फैल रही है।
- बरसात के मौसम में इसका प्रकोप सबसे अधिक रहता है।
- लगातार इंसेफ्लाइटिस (Japanese encephalitis) का मुद्दे पर राजनीति हुई लेकिन ठोस उपाय नहीं खोजे जा सके।
- यही कारण है कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 200 किमी दूर तक के मरीज आते हैं, उनके पास कोई दूसरा चारा ही नहीं है।
- पूर्वांचल में पेयजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड आदि पाए जाने से यह भयंकर रूप लेती जा रही है।
- सबसे बड़ी समस्या है सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर उचित इलाज न मिल पाना भी है।
- बुखार के पहले दिन सही से इलाज नहीं मिल पाता।
- जिससे स्थिति और गंभीर हो जाती है।
- जब केस गड़बड़ा (Japanese encephalitis) जाता है तो मेडिकल कॉलेज लेकर भागते हैं।