जिले का और एक रणबांकुरा शहीद हो गया। कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी के पास आर्मी हेडक्वॉर्टर में रविवार को तड़के आतंकी हमले में मरदह थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत गाईं के देवपुरवा का लाल हरेंद्र यादव भी मारे गए।
- उनकी शहादत की खबर मिलने के बाद परिवार में कोहराम च गया।
- गांव के लोग भी शोक में डूब गए।
- हरेंद्र के दरवाजे पर सैकड़ों ग्रामीण एकत्र हो गए।
- हरेंद्र वर्ष 2007 में बिहार रेजिमेंट में शामिल हुए थे।
- उनकी तैनाती इन दिनों उरी में थी।
- शनिवार की दोपहर करीब एक बजे उनका आखिरी फोन घर आया था।
- छोटे भाई नागेंद्र से उन्होंने घर का हालाचाल लिया।
- बताए कि उनका कैंप और ऊपर जाने वाला है।
- शायद वहां फोन का नेटवर्क न मिले।
- आखिरी बार एक माह की छुट्टी पर वह पहली जून को घर आए थे।
- उसके बाद ड्यूटी पर लौट गए थे।
- उनकी शादी सात जून 2011 को कोड़री की निर्मला से हुई थी।
- उनके दो मासूम पुत्र हैं। चार साल का रोहित और दो साल का राज।
- वह दोनों अपने घर भीड़ देख कर हैरान हैं।
- उन्हें नहीं पता कि अब उनके पिता नहीं रहे जबकि निर्मला बार-बार पति को याद कर अचेत हो जा रही है।
- पिता केदार यादव, मां प्रभावती की मनोदशा ठीक नहीं है।
- भाई-बहन में सबसे बड़ी सविता है जबकि कुल छह भाइयों में हरेंद्र पांचवें नंबर पर थे।
- दो भाई मुंबई में किसी निजी कंपनी में काम करते हैं जबकि शेष तीन गांव पर ही रहते हैं।
- मालूम हो कि आतंकी हमले में हरेंद्र के साथ अन्य 16 जवान भी शहीद हो गए जबकि कई घायल हुए।
- जवाबी कार्रवाई में चार आतंकी भी मारे गए।
शहीद हरेंद्र के भाई की क्या है इच्छा ?
- शहीद हरेंद्र के भाई की यही इच्छा कि पाकिस्तान को उसी के अंदाज में जवाब दे भारत
- कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकी हमले में शहीद जवान हरेंद्र यादव के परिवार सहित देवपुरवा(गाईं) के लोग गुस्से में हैं।
- हरेंद्र के छोटे भाई नरेंद्र चाहते हैं कि भारत सरकार पाकिस्तान को उसी के अंदाज में जवाब दे।
- आतंकी हमले की चर्चा पर कहे कि हरेंद्र और उनके साथियों की शहादत खाली नहीं जानी चाहिए।
- पाकिस्तान का यह भारत पर सीधा हमला है।
- अब उसका वजूद खत्म होना चाहिए।
- ग्राम प्रधान पुंजेश सिंह का कहना है कि गांव के सभी लोगों को अपने जांबाज लाल के खोने का गम है और चाहते हैं कि भारत सरकार अब कूटनीति नहीं सीधे पाकिस्तान पर हमला बोले।
- तभी शहीदों के घरवालों और भारतवासियों को शांति मिलेगी।
- ग्राम प्रधान ने बताया कि हरेंद्र बहादुर जवान था।
- आखिरी बार जब छुट्टी आया था तब पड़ोसी राजेंद्र राजभर की झोपड़ी में आग लग गई थी।
- वह अपनी जान जोखिम में डाल कर झोपड़ी से दो मासूम बच्चों तथा मवेशियों को सही सलामत बाहर निकाला था।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें
Ashutosh Srivastava
Reporter at uttarpradesh.org, News Junkie,Encourager not a Critique Admirer of Nature.