उत्तर प्रदेश में बीते साल 2 जून को ही मथुरा जिले में स्थित जवाहर बाग़ हत्याकांड(jawaharbagh clash) हुआ था, जिसमें करीब दो दर्जन से अधिक लोग मारे गए थे। इतना ही नहीं इस हत्याकांड में मथुरा सिटी एसएसपी मुकुल द्विवेदी समेत थाना फ़रह SHO संतोष कुमार की मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए थे।
जवाहरबाग़(jawaharbagh clash) ने उड़ाये थे शासन-प्रशासन के होश, नक्सलियों से जुड़े थे तार:
- मथुरा के जवाहरबाग़ हत्याकांड(jawaharbagh clash) जैसी घटना ने वर्तमान सरकार समेत प्रशासन को सकते में डाल दिया था।
- हालाँकि, मामले में राज्य सरकार द्वारा लापरवाही को भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शित किया गया था।
- वहीँ सरकार की मुश्किलें तब बढ़ गयीं जब जांच के बाद जवाहरबाग़ घटना के तार नक्सलियों से जुड़े मिले।
- जांच में सामने आया कि, नक्सलियों द्वारा रामवृक्ष यादव को बड़े पैमाने पर हथियार-खाद्य सामग्री दिलाई जा रही थी।
आनन-फानन में रामवृक्ष यादव को मृत घोषित किया यूपी पुलिस ने:
- जवाहरबाग़ हत्याकांड(jawaharbagh clash) में राज्य सरकार और यूपी पुलिस की काफी फजीहत हुई थी।
- जिसके बाद मुठभेड़ रुकने के साथ ही तत्कालीन DGP जावीद अहमद ने जानकारी दी कि, रामवृक्ष यादव को मार दिया गया है।
- लेकिन यूपी पुलिस के इस दावे की हवा रामवृक्ष यादव के बेटे विवेक यादव ने ही निकाल दी थी।
- विवेक के मुताबिक, यूपी पुलिस ने रामवृक्ष यादव को जिंदा पकड़ा था।
- रामवृक्ष यादव के जिंदा होने की पुष्टि का समर्थन हैदराबाद के FLS की DNA रिपोर्ट में किया गया है।
- रिपोर्ट के मुताबिक, रामवृक्ष यादव का डीएनए विवेक यादव से मैच नहीं हुआ था।
इंटेलिजेंस ने 80 बार आगाह किया था राज्य सरकार को:
- जवाहरबाग़ हत्याकांड(jawaharbagh clash) के बाद मामले में राज्य सरकार की भी काफी आलोचना की गयी थी।
- वहीँ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंटेलिजेंस ने 80 बार राज्य सरकार को आगाह किया था।
- उसके बावजूद भी जवाहरबाग़ में स्थिति के हाथ से निकलने का इन्तजार किया गया।
- हालात इतने बिगड़े की मथुरा सिटी एसएसपी मुकुल द्विवेदी शहीद हो गए थे।
- इसके साथ थाना फरह SHO संतोष कुमार भी मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे।
- साथ ही साथ जवाबी कार्रवाई में करीब दो दर्जन सशस्त्र अतिक्रमणकारियों को भी मार दिया गया था।
पूरा मामला:
- साल 2014 में रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में कुछ प्रदर्शनकारियों ने जवाहरबाग़ में तीन दिन के लिए डेरा डाला था।
- ये सभी प्रदर्शन के लिए दिल्ली जा रहे थे।
- लेकिन तीन दिन का प्रदर्शन बढ़कर 2 साल का हो गया।
- इस दौरान रामवृक्ष यादव और उसके साथियों ने बाग़ में झोपड़ियाँ भी बना ली थी।
- साथ ही साथ बाग़ में एक प्रकार से कब्ज़ा कर किसी के भी आने-जाने की रोक लगा दी गयी।
- रामवृक्ष यादव लगभग रोज शाम को सभाएं करता था, जिसमें भड़काऊ भाषण दिए जाते थे।
- कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पुलिस की टीम बीते 2 जून को बाग़ को खाली कराने पहुंची थी।
- लेकिन बाग़ में मौजूद रामवृक्ष यादव के हथियारबंद साथियों ने पुलिस पर अचानक गोलियां बरसानी शुरू कर दी।
- जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गयी, मुठभेड़ में SSP मुकुल द्विवेदी और SHO संतोष घायल हो गए थे।
- बाद में मामले की जांच कोर्ट द्वारा सीबीआई को सौंप दी गयी थी।