यूपी के झांसी जिला जेल में बड़ा ‘खेल’ प्रकाश में आया है। यहां और कुछ नहीं यूपी के जेल में पैसा बोलता है। ये Exclusive तस्वीरें जिला जेल के अंदर की हैं। यहां कैदियों ने एक स्टिंग कर डाला। झांसी जेल के अंदर की तस्वीरों ने जिला जेल प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है। इस स्टिंग के संबंध में यूपी के जेल मंत्री जय कुमार सिंह जैकी ने बताया कि मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी।
जेलर के खास कैदी चलाते हैं जेल
- जानकारी के मुताबिक, झांसी जेल में कैदियों की मौज है।
- यहां जिला कारागार को एक सिंडिकेट चला रहा है।
- बताया जा रहा है कि जेलर के खास कैदी जेल चलाते हैं।
- कैदियों से अवैध वसूली का धंधा जोरो पर है।
- जेल के भीतर कैदियों की मौज है।
- यहां अवैध वसूली का खेल खुलेआम चल रहा है।
- इतना ही नहीं जेलर के कारखास कैदी जेल के भीतर मोबाइल इस्तेमाल करते हैं।
- जेल में कैदियों के लिए जुए का अड्डा, गुटखा, सिगरेट की खुलेआम बिक्री, मनमर्जी से खाना बनाते हैं कैदी, कैदियों को मिलती है पसंद की मिठाई।
पहले से तय रहती है कीमत
- झांसी जेल के भीतर स्टिंग करने वाले कैदियों ने बताया, जेल के अंदर जलेबी, शराब, गुटखा, बीड़ी, सिगरेट यहां तक कि सब्जी की कीमत पहले से ही तय रहती है।
- हर रोज जेल प्रशासन की इस व्यापार से एक लाख रुपए से ऊपर की कमाई होती है।
- कबलियत के हिसाब से जेलर कैदियों को काम देता है।
- पूरी जेल को पुलिस नहीं राइटर और लंबरदार चलाते हैं।
- इनकी संख्या करीब 40 के आस-पास है।
- हर बैरिक में 2 लोगों को रखा जाता है।
डंडे से कमजोर कैदियों पर अत्याचार
- राइटर एक प्रकार से आला अधिकारी के पीए का काम करते हैं और लंबरदार के पास एक डंडा होता है जो पूरी जेल में घूम-घूमकर कमजोर कैदियों पर अत्याचार करता है।
- झांसी जेल में लगभग 1500 कैदी हैं जबकि लॉकअप में 470 कैदी रखने की व्यवस्था है।
- जेल के अंदर हाई क्वालिटी के मोबाइल से लेकर कैदियों के पास सारे ऐश और आराम के समान होते हैं, यहां जैमर काम नहीं करता है।
कैदी अपनी पसंद का खुद बनाते हैं खाना
- जो ज्यादा पैसे वाले होते है उनके लिए तो अंदर से ही खाने की व्यवस्था हो जाती है।
- लेकिन मीडियम क्लास के कैदी जेल से मिलने वाले खाने में रोटियां ज्यादा लेते हैं।
- फिर उन्हें सुखाकर ईंधन के काम में लाते हैं।
- पूरी जेल में अलग-अलग जगह कैदी अपनी पसंद का खाना बनाते हुए दिख जाएंगे।
- जेल के अंदर 150 रुपए के हिसाब से जलेबी मिल जाती है और बालूशाही का एक पीस 10 रुपए का मिलता है, इसकी कीमत जेलर तय करता है।
बर्थडे पर बाहर से आता है केक
- कैदी पैसे देने में सक्षम है तो उसके बर्थडे पर बाकायदा बाहर से केक और दूसरे सामान मंगाए जाते हैं।
- जिसकी उन्हें मुंह मांगी कीमत देनी पड़ती है।
- पूरी जेल में एक बिजनेस की तरह नेटवर्क चलता है यदि कोई नया कैदी आता है तो उससे मशक्कत के नाम पर 300 रुपए वसूले जाते हैं। यदि पैसे वाला है तो 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक मशक्कत के नाम पर ले लिए जाते हैं।
- कैदी जब जेल के अंदर पैसे लेकर जाते हैं तो उनसे 10 पर्सेंट कमीशन वसूला जाता है।
- ये सब सुपरिटेंडेंट राजीव शुक्ला, जेलर कैलाश चंद्र और डिप्टी जेलर संदीप भास्कर के इशारे पर होता है।
जेल के अंदर इन कैदियों का है वर्चस्व
- सत्येंद्र- यह गरौठा थानाक्षेत्र का रहने वाला है मर्डर केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
- सुपरिंटेंडेंट का राइटर है, इसकी बैरक में 56 इंच की LCD टीवी लगी हुई है।
- अपने पास Galaxy A5 मोबाइल रखता है।
- यह जेल के अंदर कैंटीन चलवाता है।
- इसकी मंथली इनकम 50-60 हजार रुपए महीने हैं।
- कैंटीन में एक लाख रुपए की रोज की बिक्री है।
गोलू- ये मऊरानीपुर थानाक्षेत्र का रहने वाला है। मर्डर केस में आजीवन सजा काट रहा है। इसका काम है कैदियों को उनके रिश्तेदारों से मिलाई कराना और पर हेड 20 रुपए उनसे लेना। जिसमें से वो खुद 5 रुपए रखता है बाकी 15 रुपए जेलर के पास जाते हैं।
जितेंद्र- मर्डर केस में आजीवन कारावास काट रहा है। इसके पास खाद्य सामग्री का चार्ज रहता है। यह अपने नेटवर्क द्वारा कैदियों के लिए आई सरकारी सामग्री को बाहर मार्केट में बिकवा देता है। जिसका कमीशन इस से लेकर जेल प्रशासन तक पहुंचता है।
छोटे श्रीवास- मर्डर केस में आजीवन सजा काट रहा है इसका काम है जेल के अंदर जुआ खिलवाना और ब्याज पर कैदियों को पैसा बांटना।
कौशल रावत- जेलर का राइटर यह सिर्फ जेलर का आदेश मानता है। जेलर के इशारे पर कैदियों को पीटता है।