लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी एडमिशन में जूनियर रिसर्च फैलोशिप (जेआरएफ) पास कैंडीडेट्स को प्रवेश परीक्षा में शामिल कराने को लेकर लविवि में कई विभागों में मतभेद शुरू हो गया है। उनका कहना है कि जेआरएफ पास कैंडीडेट्स को परीक्षा में शामिल कराने के बजाय दूसरी तरह से लाभ दिया जाए या फिर अगर उन्हें प्रवेश परीक्षा में शामिल कराया जाए तो उन्हें उसमें अलग से सहूलियत दी जाए ताकि उनमें और दूसरे सामान्य छात्रों में फर्क किया जा सके।
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एकेडमिक काउंसिल की होगी बैठक
- अभी लविवि ने पीएचडी में एडमिशन के लिए जो अध्यादेश बनाया है।
- उसमें सभी को प्रवेश परीक्षा में शामिल होने का नियम बनाया है।
- लेकिन अलग-अलग फैकल्टी बोर्ड की बैठक में इसमें आम सहमति नहीं बन पा रही है।
- ऐसे में अब इसे रिव्यू कर जेआरएफ पास कैंडीडेट्स को अलग से छूट देने पर विचार हो रहा है।
- अभी तक पीएचडी प्रवेश परीक्षा में इन कैंडीडेट्स को छूट देने का प्रावधान था।
- लेकिन नए सेशन से लविवि इसे खत्म करने जा रहा है।
- इसे लेकर विभिन्न फैकल्टी बोर्ड की बैठक में इसे पास करवाने के लिए भेजा गया है।
- साइंस फैकल्टी बोर्ड में जेआरएफ कैंडीडेट्स को कुछ छूट दिए जाने का मामला उठाया गया।
- आट्र्स और कामर्स के अलावा अन्य फैकल्टी बोर्ड की बैठक में भी इस पर मंथन किया जा रहा है।
- लविवि प्रवक्ता प्रो. एनके पांडेय ने बताया कि अभी इस पर स्थिति एकदम साफ नहीं है।
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- कोई अभी अंतिम फैसला एकेडमिक काउंसिल की बैठक में ही किया जाएगा।
- बीते साल पीएचडी एडमिशन को लेकर राज भवन ने आपत्ति उठाई थी।
- उन्होंने जेआरएफ स्टूडेंट्स को साक्षात्कार में 20 नंबर अधिक दिए जाने के साथ पूरे एडमिशन प्रक्रिया में उन्हें मिल रहे लाभ को देखते हुए इस लटका दिया था।
- लविवि की ओर से इस बार अध्यादेश में बदलाव कर जेआरएफ स्टूडेंट्स को लाभ का मौका कम करने के आश्वासन के बाद एडमिशन को हरी झंडी मिली है।
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