प्रदेश की पुलिस व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार प्रतिदिन नए कदम उठा रही है मगर कुछ विभागीय मातहतों की वजह आये दिन महकमे को शर्मसार होना पड़ रहा है।

जिले के बछरांवा थाना क्षेत्र की एक महिला ने आरोप लगाया की थाने के दो सिपाहियों ने मेरे घर मे जबरन घुस कर मेरी नाबालिग बेटी के कपड़े फाड़ डाले और पड़ोसियों के आने पर धमकाते हुए वंहा से चले गये। थाने मे जब शिकायत की तो किसी ने नही सुना तो आज एसपी साहिबा की चौखट पर माथा टेकने आये लेकिन वो भी नही मिली।

ये है पूरा मामला:

बछरांवा थाना क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली पीड़ित  महिला ने आरोप लगाया की 19 जुलाई को एक दारोगा व दो सिपाही उसके घर आये और उसके पति के विषय मे बेटी से पूछने लगे। बेटी ने बताया की वो खेत पर है तो उन्होंने कहा की उसके पिता ने उससे 10 लाख रुपये लिए है वापस कर दे नही तो घर की ईंट उखाड़ देंगे। इसके बाद दोनो बेटी से अभद्रता करने लगे और उसके कपड़े फाड़ दिये। चीख पुकार सुनकर मैं मौके पर पहुची तो दोनो धमकाने लगे। इसी बीच पड़ोसियों के आ जाने पर बोले, “मामला हम लोगों का है, बीच मे न बोलो” और वंहा से चले गये। पीड़िता ने बताया की वो शिकायत करने थाने गई थी लेकिन कोई सुनवाई नही हुई तो आज बड़े साहब के पास आई लेकिन वो भी नही मिली।

कुछ भी बोलने से कतरा रहे विभागीय जिम्मेदार:

मामला विभागीय होने के चलते पीड़िता का प्रार्थना पत्र तो सीओ ने ले लिया लेकिन इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से पहले अपने कार्यालय से चले गये। वहीं पुलिस अधीक्षिका से पीड़िता न मिल पाने के कारण बैरंग वापस लौट गयी।

अब देखना है कि क्या विभागीय आलाधिकारी पीड़िता को न्याय दिलाने के लिये कोई कार्यवाही करते हैं या नहीं। फिलहाल पूरा पुलिस महकमा इस मामले पर चुप्पी साधे बैठा है।

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