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कैराना उपचुनाव: विपक्ष का सेनापति रण के लिए नहीं तैयार

kairana and noorpur by election 2018 latest updates in hindi

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उत्तर प्रदेश के कैराना में होने वाले उपचुनाव में विपक्ष का सेनापति कौन होगा ये अभी तय नहीं हो पाया है। साल 2019 से पहले होने वाले कैराना उप चुनाव की घोषणा के बावजूद विपक्षी एकता के समीकरण अनसुलझे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि विपक्षी संगठनों का गठबंधन हुआ तो रालोद के जयंत चौधरी उम्मीदवार हो सकते हैं। हालांकि सपा भी संभावना तलाश रही है। बसपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कांग्रेस ने रालोद को चुनाव लड़ाने की पैरोकारी की है।

हरियाणा सीमा से सटी है कैराना की सीमा

कैराना लोकसभा सीट प्रदेश के पश्चिमी हिस्से में हरियाणा सीमा से सटी हुई है। इसके पांच विधानसभा क्षेत्रों में शामली, कैराना और थाना भवन शामली जिले में पड़ते हैं, वहीं नकुड़ व गंगोह सहारनपुर में हैं। 2014 में इस सीट पर भाजपा के हुकुम सिंह 2.37 लाख वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। वीरेंद्र वर्मा के बाद वह भाजपा के दूसरे प्रत्याशी थे जिन्होंने इस सीट पर जीत हासिल की।

गुर्जर भी चुनाव जीते हैं चुनाव

इस सीट पर यूं तो गुर्जर भी चुनाव जीते हैं लेकिन यह जाटों या मुसलमानों के लिए ज्यादा मुफीद रही है। 2014 में सपा नंबर-2, बसपा-3 और राष्ट्रीय लोकदल प्रत्याशी नंबर-4 रहा था। हुकुम सिंह को इन तीनों उम्मीदवारों को मिले कुल मतों से ज्यादा (50.54 फीसदी) वोट मिले थे। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व सपा में गठबंधन था। इस संसदीय क्षेत्र की विधानसभा की चार सीटों पर भाजपा और एक पर सपा विजयी रही थी। तीन पर कांग्रेस और एक पर रालोद दूसरे नंबर पर था।

मुजफ्फरनगर दंगे से प्रभावित रहा है गांव

विपक्षी दलों की ओर से कैराना सीट पर सपा और रालोद दावेदारी जता रहे हैं। इस इलाके के बहुत सारे गांव 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे से प्रभावित रहे थे। इसी से उपजे ध्रुवीकरण से भाजपा को बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी। हालांकि अब माहौल बदला हुआ है। इसकी शुरुआत 2017 के विधानसभा चुनाव से हो गई थी। विपक्षी दलों ने संयुक्त प्रत्याशी उतारा तो भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश हो सकती है।

कैराना लोकसभा सीट पर 16 लाख से ज्यादा वोटर

कैराना लोकसभा सीट पर 16 लाख से ज्यादा वोटरों में सर्वाधिक तादाद मुस्लिम की है। दूसरा नंबर अनुसूचित जाति का है। ये दोनों वोट मिलकर लगभग 45 फीसदी के आसपास बैठते हैं। जाट वोट 10 फीसदी हैं। इसके बाद गुर्जर, कश्यप व सैनी मतदाता हैं। इनकी तादाद एक से सवा लाख के बीच है। विपक्षी दलों की नजर मुस्लिम, दलित व पिछड़े वर्ग के वोटों पर है। भाजपा से दिवंगत सांसद हुकम सिंह की बेटी मृगांका सिंह का चुनाव लड़ना लगभग तय है। वह गुर्जर समाज से हैं।

ध्रुवीकरण से बचने के लिए जाट को प्रत्याशी बना सकता है गठबंधन

भाजपा के वोटों के ध्रुवीकरण के प्रयासों को नाकाम करने के लिए विपक्षी दल जाट या किसी अन्य पिछड़े वर्ग के नेता को चुनाव लड़ा सकते हैं। यूं तो प्रत्याशी मुस्लिम भी हो सकता है लेकिन ध्रुवीकरण से बचने के लिए गठबंधन से किसी जाट को टिकट मिल सकता है। उनके वोट चुनाव में निर्णायक साबित हो सकते हैं। गठबंधन में सपा चुनाव लड़ी तो भी इसी समीकरण को ध्यान में रखा जा सकता है। हालांकि नूरपुर विधानसभा सीट को लेकर स्थिति लगभग साफ है। वहां सपा चुनाव लड़ेगी। 2017 के चुनाव में भी सपा यहां दूसरे नंबर पर रही थी।

मृगांका सिंह हो सकती हैं भाजपा प्रत्याशी

कैराना उपचुनाव को लेकर गठबंधन का स्वरूप तय नहीं है, फिर भी एक सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस इसका हिस्सा होगी। गोरखपुर और फूलपुर में कांग्रेस ने अलग चुनाव लड़ा था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इमरान मसूद ने कैराना सीट पर इकतरफा दावेदारी के लिए सपा को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने रालोद को चुनाव लड़ाने की पैरोकारी की है। गठबंधन में कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल को भी शामिल करने की कोशिश की जा रही है। यदि विपक्षी गठबंधन की जीत का सिलसिला जारी रहता है तो लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सपा-बसपा न केवल मजबूत होगी बल्कि दूसरे क्षेत्रीय दल भी गठबंधन में शामिल होंगे। भाजपा कैराना से पूर्व सांसद स्व. हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह और नूरपुर से पूर्व विधायक दिवंगत लोकेंद्र सिंह की पत्नी अवनी सिंह को उम्मीदवार बना सकती है। भाजपा काफी दिनों से चुनावी तैयारी में जुटी है।

गोरखपुर और फूलपुर में भाजपा को मिली थी हार

गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद कैराना व नूरपुर उपचुनाव योगी सरकार और भाजपा के लिए साख का सवाल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार के मंत्री और संगठन के कार्यकर्ता दोनों सीटें जीतकर सपा-बसपा गठबंधन का असर समाप्त करने के उद्देश्य से चुनाव मैदान में उतरेंगे। यदि भाजपा दोनों सीटों पर कब्जा बरकरार रखने में सफल होती है तो प्रदेश में एक बार फिर भाजपा कार्यकर्ताओं को खुशी मनाने का मौका मिलेगा। विपक्षी गठबंधन भी कैराना व नूरपुर सीटें भाजपा से छीनने के लिए पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरेगा।

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