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काकोरी शहीद दिवस 2018: नागरिकों के साथ शहीदों को मेट्रो के एमडी ने दी श्रद्धांजलि

Kakori Shahid diwas 2018: Tribute paid to Martyrs in Lucknow

Kakori Shahid diwas 2018: Tribute paid to Martyrs in Lucknow

राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित जीपीओ पार्क में काकोरी शहीद दिवस 2018 के उपलक्ष्य में गुरुवार को कई जगह कार्यक्रम आयोजित किये गए। इस अवसर पर जीपीओ पार्क में काकोरी कांड के शहीदों की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुधीर हलवासिया पहुंचे। उनके साथ लखनऊ मेट्रो के प्रबंध निदेशक (एमडी) कुमार केशव सहित कई लोग मौजूद रहे।

बता दें कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन ‘1857 की क्रांति के बाद उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में चापेकर बंधुओं द्वारा आर्यस्ट व रैंड की हत्या के साथ सैन्यवादी राष्ट्रवाद का जो दौर प्रारंभ हुआ। वह भारत के राष्ट्रीय फलक पर महात्मा गांधी के आगमन तक निर्विरोध जारी रहा। लेकिन फरवरी 1922 में चौरा-चौरी कांड के बाद जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया, तब भारत के युवा वर्ग में जो निराशा उत्पन्न हुई उसका निराकरण काकोरी कांड ने ही किया था।

8 अगस्त को राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ के घर पर हुई एक इमर्जेन्सी मीटिंग में निर्णय लेकर योजना बनी और अगले ही दिन 9 अगस्त 1925 को शाहजहाँपुर शहर के रेलवे स्टेशन से बिस्मिल के नेतृत्व में कुल 10 लोग, जिनमें शाहजहाँपुर से बिस्मिल के अतिरिक्त अशफाक उल्ला खाँ, मुरारी शर्मा तथा बनवारी लाल, बंगाल से राजेन्द्र लाहिडी, शचीन्द्रनाथ बख्शी तथा केशव चक्रवर्ती, बनारस से चन्द्रशेखर आजाद तथा मन्मथनाथ गुप्त एवं औरैया से अकेले मुकुन्दी लाल शामिल थे। 8 डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर रेलगाड़ी में सवार हुए। इन क्रान्तिकारियों के पास पिस्तौलों के अतिरिक्त जर्मनी के बने चार माउजर भी थे।

9 अगस्त 1925 को क्रांतिकारियों ने काकोरी में एक ट्रेन में डकैती डाली थी। इसी घटना को ‘काकोरी कांड’ के नाम से जाना जाता है। क्रांतिकारियों का मकसद ट्रेन से सरकारी खजाना लूटकर उन पैसों से हथियार खरीदना था ताकि अंग्रेजो के खिलाफ युद्ध को मजबूती मिल सके. काकोरी ट्रेन डकैती में खजाना लूटने वाले क्रांतिकारी देश के विख्यात क्रांतिकारी संगठन ‘हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन’ (एचआरए) के सदस्य थे। एचआरए की स्थापना 1923 में शचीन्द्रनाथ सान्याल ने की थी। इस क्रांतिकारी पार्टी के लोग अपने कामों को अंजाम देने के लिए धन इकट्ठा करने के उद्देश्य से डाके डालते थे। इन डकैतियों में धन कम मिलता था और निर्दोष व्यक्ति मारे जाते थे।

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