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कानपुरः महापौर ने लगाया PWD पर भ्रष्टाचार का आरोप, धरने पर बैठीं

Kanpur: The Mayor accused corruption on PWD, protest

Kanpur: The Mayor accused corruption on PWD, protest

यूपी को गड्ढामुक्त किये जाने की मुहीम छेड़ने वाली योगी सरकार के सपने को पूरा करने का जिम्मा सरकारी विभागों ने उठा तो लिया, लेकिन जल्दबाजी में बनायीं गयी सड़कों की हकीकत कुछ और ही बयां कर रहीं हैं। कानपुर में वीआईपी इलाके में कमिश्नर आवास के सामने सड़क धंस गई है। जिसको लेकर भाजपा की कानपुर महापौर धरना देने सड़क पर बैठ गईं है। इस मामले में सम्बंधित अधिकारी एक दूसरे विभागों की गलती बताने से नहीं चूके।

स्कूल बस के धंसने के बाद हुआ मामला उजागर

ये हादसा उस समय हुआ जब एक स्कूल बस इस रोड से गुजर रही थी तभी बस का पहिया अचानक धंसने लगा, लेकिन जब तक ड्राइवर कुछ समझ पाता तब तक पूरी की पूरी बस गड्ढे में धंस चुकी थी। आस पास के लोगों की समझदारी से बस में बैठे बच्चों को उतारा गया और बस को निकाला गया। स्थानीय पार्षद और नागरिकों ने एक बड़ा हादसा टाल दिया। सड़क धंसने की सूचना पुलिस और प्रशासन को दी, लेकिन कोई भी सरकारी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। स्थानीय नागरिक ने 1070 पर फोन करके घटना की जानकारी दी तो पुलिस ने आकर सड़क का आवागमन बंद कर दिया, जिससे आगे कोई और दुर्घटना न हो सके।

जल निगम के अधिकारियों की है गलती

वहीं सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची नगर निगम और जलकल की टीम ने जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया और जल निगम के माथे पूरा दोष मढ़ दिया। जिसके बाद कमिश्नर की फटकार पर जब जल निगम अधिकारी पहुंचे तो हकीकत खुल गयी। जिसमें जलकल के एक्जीक्यूटिव इंजिनियर एम पी सिंह ने खुद माना की गलती जल निगम के अधिकारियों की है। जिसमें सड़क बनने के बाद पानी की पाइप डाली गयी थी और खुदाई में खुदी सड़क को बनवाया गया था, लेकिन जल निगम के ठेकेदार द्वारा बनवायी गयी सड़क में प्रयोग किये गए मैटीरियल की किसी भी अधिकारी ने जाँच नहीं की थी।

महापौर बैठीं धरने पर

मामले की जानकारी होने के बाद कानपुर की महापौर प्रमिला पाण्डेय धरने पर बैठ गई। इस दौरान उनके साथ काफी संख्या में समर्थक और आसपास के लोग मौजूद रहे। बता दें कि पीडब्ल्यूडी में फैले भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर इसके विरोध में सड़क पर बैठ गईं है। जिसके बाद आलाधिकारियों में हड़कंप मच गया है। सड़क धंसने के मामले में सड़क पर बैठी महापौर ने कहा कि दोषी अधिकारी बख्शे नही जाएंगे , जब तक काम शुरू नही होगा मैं बैठी रहूंगी। महापौर का आरोप है कि सड़क धंसने के सात घंटे होने के बावजूद किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली।

कमिश्नर ने किया महापौर को पहचानने से इंकार

जब कानपुर कमिश्नर के यहां पहुंची तो कमिश्नर ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया। जिस बात से नाराज महापौर तत्काल कार्रवाई पर अड़ गयी। वहीं उनका यह भी कहना है कि जिस जलकल विभाग के इंजिनियर एम् पी सिंह ने नगर निगम की गलती बताकर सड़क धसने का आरोप लगाया है वो सरासर गलत है, लेकिन ताज्जुब का नजारा तो तब देखने को मिला जब दो घंटे से अधिक समय बीत जाने के बाद भी किसी अधिकारी ने मौके पर पहुंचने की जिम्मेदारी नहीं निभायी। जबकि महापौर एक सवैधानिक पद की श्रेणी में आता है। जिसको देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि मोदी और योगी सरकार के शासनकाल में कार्यरत अधिकारी कितने सजग है जो उनकी ही पार्टी के नेताओं की नहीं सुन रहें।

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