कानपुर की मेयर सीट 21 सालो बाद महिला के लिए आरक्षित हो गई. 1996 में भी महिला सीट होने पर भाजपा प्रत्याशी सरला सिंह मेयर बनी थी. इसके बाद मेयर पद पुरुष और सामान्य वर्ग के लिए ही आरक्षित रहा. बीजेपी और कांग्रेस महिला सीट होने से अपनी अपनी जीत की दावेदारी पेश कर रही है.
कांग्रेस का मजबूत होता दिख रहा दावा:
- 1996 में महिला मेयर सरला सिंह बनी थी और उसके बाद से 21 साल बाद एक बार फिर से मेयर पद महिला के लिए आरक्षित हुई है.
- कॉंग्रेस पार्टी से सबसे प्रबल दावेदार आरती दीक्षित पूर्व में पार्षद रह चुकी है और एक दबंग महिला नेता के रूप में जानी जाती है.
- आरती दीक्षित अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है.
- पूर्व मेयर सरला सिंह की बेहद करीबी रही आरती दीक्षित को नोटबंदी और जीएसटी के बाद बीजेपी का वोट बैंक कॉंग्रेस की तरफ खिसकने की उम्मीद है.
- इसी उम्मीद पर वो अपने दावेदारी मजबूत मान रही हैं.
आरती दीक्षित को जीत की उम्मीद
- वर्तमान मेयर जगतवीर सिंह द्रोण को महिला आरक्षण से कोई गुरेज नहीं है.
- वीमेन एम्पावरमेंट की बात करने वाले पूर्व मेयर द्रोण को महिला और पुरुष में कोई अंतर् नहीं दिखता है.
- उन्होंने कहा कि जब देश की प्रधानमंत्री महिला हो सकती है तो मेयर क्यों नहीं.
- नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से वोट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
- ये बताते हुए पूर्व मेयर ने बताया कि इनसे कोई दिक्कत नहीं हुई .
- जबकि नोटबंदी और जीएसटी से उनको आगे चल कर लाभ मिलने वाला है.
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