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सपा के लिए कठिनाइयों से भरी है लोकसभा चुनाव में कानपूर की सीट

Kanpur seat in Lok Sabha election is full of difficulties for SP

Kanpur seat in Lok Sabha election is full of difficulties for SP

सपा के लिए कठिनाइयों से भरी है लोकसभा चुनाव में कानपूर की सीट

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने यह ऐलान कर दिया है कि कौन किस सीट से लड़ेगा चुनाव, सपा जहां राज्य की 37 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही हो तो वहीं दूसरी तरफ बसपा 38 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है।  राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से दो सीटें (अमेठी और रायबरेली) कांग्रेस के लिए छोड़ी गई हैं और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) को तीन सीटें दी गई हैं। आरएलडी को मथुरा के हिस्से में उसकी परंपरागत मथुरा, बागपत और मुजफ्फरनगर सीटें आईं हैं। वही कानपूर सीट को लेकर कानपूर सपा कार्यकर्ताओं में यह जानने की उत्सुकता बनी हुई है कि पार्टी हाई कमान आखिर किसे देगी कानपूर की सीट।

गठबंधन के चलते सपा को लग सकता है यह झटका

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से कोई ठोस अश्वासन नहीं मिलने से गुस्साए राकेश सचान ने गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व सांसद राकेश सचान ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी है।

मुलायम सिंह व शिवपाल सिंह के वेहद करीबी माने जाते है राकेश सचान

कानपुर में रहने वाले समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता राकेश सचान 2009 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर से सांसद चुने गए थे। राकेश सचान मुलायम सिंह और शिवपाल के करीबी माने जाते हैं। राकेश सचान की राजनीती में एंट्री शिवपाल सिंह यादव ने कराई थी। राकेश सचान 1993 और 2002 में घाटमपुर विधानसभा से विधायक रह चुके हैं।

रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी

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