कानपुर :- कॉन्स्टेबल के सुसाइड नोट में लिखा था ‘सभी ठाकुर जातिवादी’ – परिजनों ने जांच की मांग की
कानपुर
कानपुर में कॉन्स्टेबल जयवीर सिंह की सड़क हादसे में मौत को लेकर परिजनों ने जांच की मांग की है।
कानपुर में कॉन्स्टेबल जयवीर सिंह की सड़क हादसे में मौत को लेकर परिजनों ने जांच की मांग की है। परिजनों का कहना है कि उनके बेटे का सिपाहियों से झगड़ा, सुसाइड नोट, ड्यूटी से गैर हाजिर और अब सड़क हादसे में मौत हो गई। इन सब विवादों और हादसे का कोई कनेक्शन तो नहीं है। ट्रक चालक का कोई सुराग नहीं मिला है। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
आइए आपको बताते हैं कब और क्यों विवादों में रहा कॉन्स्टेबल
मूल रूप से इटावा के लखना निवासी 2016 बैच के कॉन्स्टेबल जयवीर सिंह कानपुर के नौबस्ता थाने में तैनात थे। लेकिन वह बगैर बताए 2 महीने 16 दिन से गैर हाजिर चल रहे थे। कई बार नोटिस देने के बाद भी हाजिर नहीं हुए और कोई जवाब भी नहीं दिया था। कॉन्स्टेबल अपने विवादों को लेकर कानपुर में चर्चा में आया था।
मृतक कॉन्स्टेबल की मां शशि देवी को पोस्टमॉर्टम हाउस में संभालते परिवार के लोग।
कॉन्स्टेबल की तैनाती कानपुर के चकेरी थाना, सचेंडी, साढ़, महाराजपुर, बिधनू, फजलगंज और घाटमपुर में तैनात रह चुका था। अक्तूबर 2022 में साढ़ थाने में तैनाती के दौरान उसकी साथी कॉन्स्टेबल से मारपीट हो गई थी। इसके बाद एसपी आउटर तेज स्वरूप सिंह ने जयवीर को लाइन हाजिर कर दिया गया था। इसके साथ ही उसकी विभागीय जांच बैठा दी गई थी। जांच के दौरान कॉन्स्टेबल के पुराने मामले निकलकर सामने आए।
तत्कालीन थानेदार से कहासुनी के बाद लिखा सुसाइड नोट
इधर चकेरी थाना परिसर में बने सरकारी आवास में रहने के दौरान तत्कालीन थानेदार शैलेंद्र सिंह से भी किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई थी। दोनों के बीच जमकर कहासुनी हुई थी। इसके बाद कॉन्स्टेबल ने एसपी आउटर तेज स्वरूप, चकेरी थाना प्रभारी शैलेंद्र सिंह समेत 11 पुलिस कर्मियों के खिलाफ एक सुसाइड नोट लिखा और अपने स्टेटस पर लगाया था। उसने अपने मरने का समय 14 नवंबर 2022 लिखा और समय 9:46 एएम लिखा था। मामले की जानकारी मिलते ही सर्विलांस टीम ने उसे मोतीझील के पास से दबोच लिया था। इसके बाद उसकी सरकारी पिस्टल को सबसे पहले जब्त किया गया।
कानपुर में कॉन्स्टेबल की हादसे में मौत के बाद पोस्टमॉर्टम हाऊस पर पहुंचे परिजन।
मनोचिकित्सक से कराई थी जांच
इसके बाद मानसिक रोग विभाग में डॉ. धनंजय से उसकी जांच कराई गई थी। इस दौरान सामने आया था कि कॉन्स्टेबल गहरे अवसाद में है। उसे आराम की सख्त जरूरत है। ड्यूटी करने में वह बिल्कुल भी सक्षम नहीं है। कुछ समय बाद हालात सामान्य होने पर उसे नौबस्ता थाने में तैनाती मिल गई थी। लेकिन नौबस्ता थाने से भी 2 महीने 16 दिन से गैर हाजिर चल रहा था। इतना ही नहीं पुलिस के नोटिस भेजने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया था। इसके बाद सोमवार को सड़क हादसे में मौत के बाद परिवार के लोगों ने इन सभी मुद्दों को लेकर एक बार जांच की मांग की है।
सुसाइड नोट।
सुसाइड नोट में लिखा था ‘सभी ठाकुर जातिवादी हैं…’
आपको बता दें कि, कॉन्स्टेबल जयवीर ने 11 नवंबर 2022 को जो सुसाइड नोट लिखा था इसमें फजलगंज एसओ रहे अजय कुमार सिंह, बिधनू एसओ रहे अतुल कुमार सिंह, बिधनू एसओ रहे योगेश कुमार सिंह, फजलगंज थाना प्रभार रहे दुबे जी, एसपी आउटर तेज स्वरूप सिंह, फजलगंज थाना प्रभारी रहे अमित सिंह तोमर, चकेरी थाना प्रभारी रहे अमित सिंह तोमर, साढ़ थाने के पद्माकर द्विवेदी और साढ़ थाने के तीन कॉन्स्टेबल अवधेश, महेंद्र सिंह व राम सेवक यादव के नाम सुसाइड नोट लिखा था। सुसाइड नोट में किनारे लिखा था कि सभी ठाकुर जातिवादी हैं।
दरोगा अनूप कुमार के सुसाइड के बाद टूट गया था कॉन्स्टेबल
फजलगंज में तैनाती के दौरान जयवीर की वहां पर तैनात दरोगा अनूप कुमार से अच्छी दोस्ती थी। दरोगा अनूप का थाने में ही तैनात एक कांस्टेबल से प्रेम प्रसंग था, लेकिन धोखा मिलने के बाद दरोगा अनूप ने अपनी कार में जहर खाकर सुसाइड कर लिया था। जहर खाने के दौरान कार में कॉन्स्टेबल जयवीर था। दरोगा को हॉस्पिटल में जयवीर ने ही एडमिट कराया था, लेकिन इलाज के दौरान अनूप की मौत हो गई थी। इसके कुछ दिन बाद ही कॉन्स्टेबल ने सुसाइड नोट लिखा और चर्चा में आया था।
पोस्टमार्टम हाउस में मृतक कॉन्स्टेबल की बुआ रेखा रो-रोकर बुरा हाल हो गया। थोड़ी देर में वह बेहोश हो गई।
गैर इरादतन हत्या समेत गंभीर धाराओं में FIR
हादसे में कॉन्स्टेबल जयवीर की मौत को लेकर परिवार के लोगों ने कोई आरोप नहीं लगाया है, लेकिन जांच की मांग की है। रिपोर्ट दर्ज कराने वाले कांस्टेबल के चचेरे भाई विशाल गोयल की तहरीर पर चकेरी थाने में हादसे को लेकर अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ आईपीसी की धारा-279 यानी सार्वजनिक रास्ते पर जल्दबाजी से गाड़ी चलाने, धारा-338 का मतलब जो भी कोई किसी व्यक्ति को उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक ऐसे किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, गंभीर चोट पहुँचाना कारित करता है और गैर इरादतन हत्या आईपीसी की धारा-304-ए के तहत एफआईआर दर्ज कराई है।
पिता बोले- कब-क्या हुआ कोई जानकारी नहीं
पिता उमेश चंद्र ने कहा कि कब क्या हो गया उन्हें कोई जानकारी नहीं है। हादसे की जानकारी मिलने पर कानपुर पहुंचे हैं। विभाग को बेटे के मौत की जांच करनी चाहिए। ये विभाग की जिम्मेदारी है। सुसाइड नोट से लेकर गैर हाजिर तक कई सवाल हैं। आखिर इसके पीछे क्या वजह थी जांच से ही सब सामने आएगा।
जयवीर ने मां को चुनाव लड़वाकर बनाया था ग्राम प्रधान
कॉन्स्टेबल जयवीर की हादसे में जान जाने के बाद माता और पिता बदहवास हो गए। क्यों कि जयवीर ही पढ़-लिखकर कांस्टेबल की नौकरी में आया था। परिवार के लोगों को जयवीर से बहुत उम्मीदें थीं। पिता उमेश गांव में पंचर की दुकान चलाते हैं। दो भाई राहुल और वेदप्रकाश गांव में ही परिवार के साथ रहते हैं। पिता का हाथ बंटाने के साथ ही खेती करते हैं। जयवीर ने ही मां शशि देवी को गांव से प्रधानी का चुनाव लड़ाया और जीत भी दिलवाई थी। इसके बाद से घर की स्थिति में बदलाव होना शुरू हो गया था।
पोस्टमार्टम हाऊस पर रोते बिलखते जयवीर के परिजन।
गांव में आज होगा अंतिम संस्कार
मृतक कॉन्स्टेबल के ताऊ राकेश चंद्र ने बताया कि पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया सोमवार शाम तक पूरी हो सकी। इसके बाद लाइन से शव को विदा करने में समय लग गया। इस वजह से अब मंगलवार सुबह गांव में अंतिम संस्कार किया जाएगा। कानपुर में उनका कुछ भी नहीं है, सिर्फ बेटा जयवीर पुलिस विभाग में यहां नौकरी करता था। देर शाम परिवार के लोग शव लेकर गांव के लिए रवाना हो गए थे।
पत्नी और बच्चों का अब कोई सहारा नहीं
पत्नी सपना भी हादसे में पति की मौत के बाद पूरी तरह टूट गई। पत्नी का कहना था कि पहले इतना विवाद हुआ और अब उनके पति की हादसे में जान चली गई। जबकि जयवीर जिन-जिन थानों में तैनात रहे अपने काम के बल पर ही थानेदार के नजदीकी रहे थे। अब उनका कोई सहारा नहीं बचा है। दो बच्चों तीन साल की जयशमीन और डेढ़ साल के अयांश को लेकर गांव के लिए रवाना हो गईं।