केंद्र और यूपी में भाजपा की सरकार होने के बावजूद पार्टी नेताओं में अधिकारी वर्ग को लेकर नाराजगी बनी हुयी है. इन दिनों कुछ ऐसा ही चल रहा है कानपुर में, जहाँ जल निगम के अधिकारी और बीजेपी पार्षदों के बीच जंग छिड़ी हुयी है. बता दें कि जहाँ एक ओर जल निगम के अधिकारी ने भाजपा पार्षद के खिलाफ मारपीट की एफआईआर दर्ज कराई है तो दूसरी तरफ पार्षदों ने अधिकारी पर मन मुताबिक़ कार्य करने का आरोप लगाते हुए मेयर के आदेशों की अवहेलना का आरोप लगाया है. साथ ही धरना देते हुए सीबीआई जाँच की मांग उठायी है.
कानपुर की BJP मेयर ने भी अधिकारियों पर लगाये मनमानी के आरोप:
कानपुर की भाजपा मेयर प्रमिला पांडेय, जिन्हे लेडी डॉन भी कहा जाता है, इन दिनों भाजपा के ही दो पार्षदों के साथ सूबे के अधिकारीयों के खिलाफ ठना-ठनी चल रही हैं.
इस बात का सबूत कुछ दिन पहले देखने को मिला था जब जिले की मेयर प्रमिला पांडेय धसी हुयी सड़क को लेकर धरने पर बैठ गयी थी. उस समय मेयर ने अधिकारीयों पर मनचाहा कार्य करने का आरोप लगाते हुए धमकी तक दे डाली थी.
अभी उस घटना की आग शांत भी नहीं हो पायी थी कि एक बार फिर अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाकर भाजपा के पार्षद और मेयर धरने पर बैठ गये हैं.
यह धरना प्रदर्शन जल निगम के अधिकारियों के खिलाफ हैं. इनपर भाजपा नेताओं ने जेएनयूआरएम योजना के तहत किये गए कार्यो में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया हैं. साथ ही पार्टी नेता को अपमानित करने का भी आरोप लगा है.
अधिकारियों ने पार्षद के खिलाफ करवाई एफआईआर:
बता दें कि इसकी शुरुआत उस वक्त हुयी जब पार्टी पार्षद राघवेन्द्र मिश्रा अपने क्षेत्र में लोअर गंगा पाइप लाइन के लीकेज होने और गंदगी फैलने की शिकायत लेकर जल निगम अधिकारी के पास गए लेकिन कुछ देर बाद आफिस के अंदर चल रही बातचीत सड़को पर आ गयी और देखते ही देखते अधिकारियों का गुट और भाजपा नेताओं का गुट आमने सामने हो गया.
जिसके बाद अधिकारियों ने पार्षद पर मारपीट का मामला दर्ज करवा दिया तो वहीं पार्षद भी निष्पक्ष जाँच कराये जाने की मांग के साथ ही सीबीआई जाँच की मांग पर अड़ कर धरने पर बैठ गये.
अधिकारी और भाजपा नेता आमने-सामने:
वहीँ दूसरी तरफ जल निगम के अधिकारियो और कर्मचारियों का गुट भी एकता में तब्दील होता दिख रहा है. जिसके चलते जल निगम के अधिकारी ने पार्षद राघवेंद्र समेत अज्ञात लोगो के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गयी है. जिसमें ऑन ड्यूटी मारपीट – गाली गलौज जान से मारने की धमकी का आरोप लगाया गया है.
उनका आरोप है कि भाजपा पार्षद अपने मनचाहे तरीके से काम कराना चाहते थे, जिसपर नियमावली के तहत कार्य किये जाने की बात पर उन्होंने मारपीट कर डाली.
हालांकि सत्तारूढ़ दल के नेताओ का इस तरह से धरने पर बैठकर मांग उठाना पार्टी नियमावली के तहत गलत जरूर है लेकिन कानपुर में छिड़ी इस जंग से यह जरूर साफ़ होता जा रहा है कि कहीं न कहीं अधिकारियों और भाजपा नेताओं के बीच असमंजस्य की स्थिति बनी हुयी है.