राजधानी लखनऊ स्थित कांशीराम इको गार्डन में माली पद पर तैनात कर्मचारी ने सुबह कीटनाशक खाकर जान देने की कोशिश की। उसके जमीन पर अचानक गिरते ही मौके पर बाकी के कर्मचारी पहुंचे। उसे तड़पता देख तत्काल अस्पताल लेकर भागे। इस दौरान आशीष की जेब से एक चिट्ठी मिली। जिसमें एक महिला अफसर पर प्रताड़ना का आरोप लगाया। हालांकि इलाज के बाद कर्मचारी की हालत सामान्य हो गई। बता दें, दो दिन पहले यानी 05 मई को सामाजिक परिवर्तन स्थल के एक कर्मचारी को वेतन न मिल पाने का मामला सामने आया था। इस दौरान बीमारी के चलते उसकी मौत भी हो गई थी।
इमरजेंसी वार्ड में कराया गया भर्ती
जानकारी के मुताबिक, पुरानी जेल रोड स्थित ग्रीन इको गार्डेन में आशीष कुमार माली के पद पर तैनात है। सुबह करीब 10:00 बजे वो अचानक ईको गार्डेन में चिल्लाने और तड़पने लगा। दौड़कर मौके पर सभी कर्मवारी पहुंचे। पूछने पर उसने जहर खा लेने की बात बताई। कुछ देर में वह अचेत होने लगा। तब कर्मचारी उसे तत्काल कानपुर रोड स्थित लोकबंधु अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने पहले प्राथमिक उपचार किया। फिर आशीष के मुंह में नली डालकर उल्टी कराते हुए पेट को साफ करवाया गया। इसके बाद उसे बलरामपुर अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहा इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। करीब दो घटे बाद उसकी स्थिति सामान्य हो गई।
व्यवस्थापक पर लगाया प्रताड़ना का आरोप
आशीष के अचेत होते ही कर्मचारियों को उसकी जेब से एक चिट्ठी मिली। उसमें ईको गार्डेन की व्यवस्थापक मिति टंडन पर आरोप था कि वह उसको साप्ताहिक अवकाश का समायोजन न देकर प्रताड़ित करती हैं। तरह-तरह से उसको परेशान किया जाता है। इसलिए उसने कीटनाशक खाना पड़ रहा है। काशीराम इको गार्डेन प्रबंधक अपर्णा सरकार का कहना है कि कर्मचारी के आरोप के जवाब में पार्क की व्यवस्थापक मिति टंडन ने बताया कि यह आरोप सरासर गलत है कि मैं उत्पीड़न करती हूं। माली संवर्ग के कर्मचारी से मेरा कभी-कभी ही सामना होता है। वे अपने सुपरवाइजर को रिपोर्ट करते हैं। साप्ताहिक अवकाश का समायोजन नियम से देते हैं। एक साथ सारे साप्ताहिक अवकाश महीने में एक बार नहीं दिये जा सकते हैं। दोनों पक्षों को सुन कर आला अधिकारियों को स्थिति से अवगत करा दिया है। किसी कर्मचारी का उत्पीड़न नहीं किया जाता है। मैं हर हाल में इसको सुनिश्चित कर रही हूं।